अगर प्रकृति देती है तो छप्पर फाड़ के देती इस पौधे को देखने से यही कहावत चरितार्थ होती है।
जी हां यह मजाक नहीं सच है हमारे खेत में जो हमारे गांव मालीगांव में है। उसमें इस प्रकार के तीन चार पौधे है। जिनको 15 - 20 से ज्यादा सिट्टे है।
और एक पौधा तो ऐसा है कि उसके 35 सिट्टे है।और इन सिट्टों में दाने (बाजरा) भी बहुत अच्छा लगा हुआ है।और इन पौधों की लम्बाई भी 10- 12 फिट है।
और यह पौधा कोई शंकर बाजरे के बीज का नहीं है। अपने यहाँ के ही देशी बाजरे का है।
(जखराना बाजरा)
मैं किसी कम्पनी के बीज का प्रचार नहीं कर रहा हूं जो हकीकत है वही दिखा और बता रहा हूं।
अगर हमारा कृर्षि विज्ञान इस प्रकार के उन्नत बीज का सही ढ़ग से उत्पादन करें तो हमें शंकर बीज बोने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी अगर इतने अधिक सिट्टे होंगें तो पैदावार भी ज्यादा होगी
हालाकि शंकर बीज की फसल जल्दी तैयार होती है। अगर वैसा ही फार्मूला इस बीज के साथ लगाया जाये तो इसकी पैदावार का तो कहना ही क्या और बीज देशी का देशी जो खाने में भी स्वादिष्ट होता है।
वेसे अमूमन इस बीज के सभी पौधों जिसको 5-6 सिट्टे जरूर आते है।
और इस बीज की कड़बी भी लम्बी होती है।
और शंकर बीज की कड़बी की बजाय इस कड़बी को पशु खाते भी ज्यादा चाव से है।
मैं यह नहीं कहता कि शंकर बीज बेकार है मेरा कहने का मतलब यह है कि अगर इस बीज में थोड़ा शोध किया जाये तो यह बीज अच्छी पैदावार दे सकता है।
एक तरफ जहां कम समय में फसल तैयार करने के लिए शंकर बीज का प्रयोग किया जा रहा है। वहीं गांवों में अभी भी देशी बीज का बजरा ही बोया जाता है। गांव वालों का कहना है कि देशी बीज तो देशी ही रहेगा
और बुढ़े बुर्जुगों का कहना हैं कि ‘‘अगर देशी बाजरे की रोटी हो और ग्वार फली का साग हो तथा खाटे की राबड़ी हो तो खाने का मजा ही कुछ और है।’’
उनका कहना है कि ‘‘ यो जखराणा को बजरों है भाया कतरों बड़ो बद ज्या कोई कुनी बता सके अर कतरा सिटा निकाल दे कुछ कहयो नही जा सके है। ’’
बस इसको को पानी भरपूर मात्रा में चाहिए
फिर इसकी पैदावार के मजे ही मजे है।
अगर कोई इसे देखना चाहता है तो मेरे घर आकर देख सकता है। पांच चार दिन में बाद में इसे काट दिया जायेगा। क्योंकि यह अब पुरी तरह पका हुआ है।
अब इजाजत फिर मिलते है किसी नई जानकारी के साथ
किसी भी फोटो को बड़ा करके देखने के लिए उस पर डबल क्लिक करें
साया
लक्ष्य
जी हां यह मजाक नहीं सच है हमारे खेत में जो हमारे गांव मालीगांव में है। उसमें इस प्रकार के तीन चार पौधे है। जिनको 15 - 20 से ज्यादा सिट्टे है।
और एक पौधा तो ऐसा है कि उसके 35 सिट्टे है।और इन सिट्टों में दाने (बाजरा) भी बहुत अच्छा लगा हुआ है।और इन पौधों की लम्बाई भी 10- 12 फिट है।
और यह पौधा कोई शंकर बाजरे के बीज का नहीं है। अपने यहाँ के ही देशी बाजरे का है।
(जखराना बाजरा)
मैं किसी कम्पनी के बीज का प्रचार नहीं कर रहा हूं जो हकीकत है वही दिखा और बता रहा हूं।
अगर हमारा कृर्षि विज्ञान इस प्रकार के उन्नत बीज का सही ढ़ग से उत्पादन करें तो हमें शंकर बीज बोने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी अगर इतने अधिक सिट्टे होंगें तो पैदावार भी ज्यादा होगी
हालाकि शंकर बीज की फसल जल्दी तैयार होती है। अगर वैसा ही फार्मूला इस बीज के साथ लगाया जाये तो इसकी पैदावार का तो कहना ही क्या और बीज देशी का देशी जो खाने में भी स्वादिष्ट होता है।
वेसे अमूमन इस बीज के सभी पौधों जिसको 5-6 सिट्टे जरूर आते है।
और इस बीज की कड़बी भी लम्बी होती है।
और शंकर बीज की कड़बी की बजाय इस कड़बी को पशु खाते भी ज्यादा चाव से है।
मैं यह नहीं कहता कि शंकर बीज बेकार है मेरा कहने का मतलब यह है कि अगर इस बीज में थोड़ा शोध किया जाये तो यह बीज अच्छी पैदावार दे सकता है।
एक तरफ जहां कम समय में फसल तैयार करने के लिए शंकर बीज का प्रयोग किया जा रहा है। वहीं गांवों में अभी भी देशी बीज का बजरा ही बोया जाता है। गांव वालों का कहना है कि देशी बीज तो देशी ही रहेगा
और बुढ़े बुर्जुगों का कहना हैं कि ‘‘अगर देशी बाजरे की रोटी हो और ग्वार फली का साग हो तथा खाटे की राबड़ी हो तो खाने का मजा ही कुछ और है।’’
उनका कहना है कि ‘‘ यो जखराणा को बजरों है भाया कतरों बड़ो बद ज्या कोई कुनी बता सके अर कतरा सिटा निकाल दे कुछ कहयो नही जा सके है। ’’
बस इसको को पानी भरपूर मात्रा में चाहिए
फिर इसकी पैदावार के मजे ही मजे है।
अगर कोई इसे देखना चाहता है तो मेरे घर आकर देख सकता है। पांच चार दिन में बाद में इसे काट दिया जायेगा। क्योंकि यह अब पुरी तरह पका हुआ है।
अब इजाजत फिर मिलते है किसी नई जानकारी के साथ
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साया
लक्ष्य
Bas mauj liye jao....bajre ke sitte kii....
ReplyDeleteSurendraji,
ReplyDeleteBajrey ki Uttam jankari key liye Dhanyawad.
उत्तम लेख, उत्तम जानकारी और मनभावन चित्रों के साथ ...आभार
ReplyDeleteएक बीज से पूरा एक परिवार खाये इतना बाजरा पैदा हो जाएगा | सचमुच कृषि वैज्ञानिकों को इस प्रकार कि किस्मों पर ध्यान देना चाहिए ताकी ज्यादा से ज्यादा पैदावार हो सके |
ReplyDeleteहम अब पारम्परिक कृषि ज्ञान भूल चुके है इसलिए इस तरह का नजारा हमें विशेष लगता है |
ReplyDeleteबुजुर्ग किसानों से कृषि टिप्स लेकर फसल इसी पौधे की तरह उगाई जा सकती है |