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Monday, May 28, 2012

बगड़ के कुछ धार्मिक, शैक्षिक, दर्शनीय स्थल

बगड़ की शान पीरामल गेट
 आज आपको दिखाते है बगड़ नगर जहा मेरी दुकान हैं वहा के कुछ धार्मिक, ऐतिहासिक,शैक्षिक व दार्शनिक स्थल
 बगड़ की शान पीरामल गेट












चावो वीरो सती  मन्दिर का प्रांगण

चावो वीरो सती  मन्दिर का द्वार

 चावो वीरो सती  मन्दिर का द्वार



 
चावो वीरो सती  मन्दिर की मुख्य प्रतिमा
चावो वीरो सती  मन्दिर के अन्दर बना शिवालय
चावो वीरो सती  मन्दिर की मुख्य प्रतिमा

बगड़ का पुराना तालाब














तालाब के पास बना शिवालय भुतनाथ जी मन्दिर



बगड़ सेठ पीरामल जी पर बनी छतरियां
 चावो वीरो सती मन्दिर का मुख्य प्रवेश द्वार व उद्यान

 रिद्धि सिद्धि हनुमान मन्दिर,बगड़
 रिद्धि सिद्धि महनुमान मन्दिर की चांदी की मुख्य प्रतिमा
 फतेह सागर तालाब पर बना शिवालय
 श्री चावो वीरो सती मन्दिर का घंटाघर
बगड़ का ऐतिहासिक  मोती महल


  बगड़ का ऐतिहासिक  मोती महल

शिवालय बगीची
















 शिवालय बगीची
 बगड़ की ऐतिहासिक पीर बाबा दरगाह (मियांसाहब)
 बगड़ का पौराणिक फतेह चंद जी ओझा का फतेह सागर तालाब व उसका गऊ घाट

 बगड़ के महान संत श्री रूपादास जी का मन्दिर

 बगड़ के महान संत श्री रूपादास जी की प्रतिमा वरदानी कुठला















 बगड़ का पाबु धाम मन्दिर
फतेह सागर तालाब

 श्री श्याम जी मन्दिर
 बी.एल. खेल मैदान
 बगड़ का सबसे पुराना संस्कृत महाविद्यलय और  रूंगटा हॉस्पिटल

 बगड़ का सेठ गंगाधर पटवारी महाविद्यालय
 बी.एल. महेश्वरी खेल उद्यान में बना स्मारक व उसके अण्डर ग्राउण्ड दृश्य

 अण्डर ग्राउण्ड दृश्य
 अन्दर जाने का रास्ता






बी.एल. खेल उद्यान
खेल उद्याने के पास बना महेश्वरी जी का पुराना चार मरूआ कुआ


श्री पाबूधाम गेट
















बगड़ का प्रसिद्ध श्री चन्द्रनाथ जी आश्रम









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25 comments:

  1. Replies
    1. @ श्रीमान मुकेश जी बगड़ राजस्थान के झुन्झुनूं जिले में झुन्झुनूं से 16 कि.मी. पूर्व की तरफ पड़ता है।

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  2. शानदार प्रस्तुति

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  3. बढिया पोस्ट, सारो बगड ही भेळो कर दियो अठे :)

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  4. Thanks Surendar ji,
    Pure bagar ke ek saath darashan ho gye.

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  5. Nice collection Dude about Bagar.

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  6. महाकालसंहिता कामकलाकाली खण्ड पटल १५ - ameya jaywant narvekar कामकलाकाल्याः प्राणायुताक्षरी मन्त्रः

    ओं ऐं ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं हूं छूीं स्त्रीं फ्रें क्रों क्षौं आं स्फों स्वाहा कामकलाकालि, ह्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं ह्रीं क्रीं क्रीं क्रीं ठः ठः दक्षिणकालिके, ऐं क्रीं ह्रीं हूं स्त्री फ्रे स्त्रीं ख भद्रकालि हूं हूं फट् फट् नमः स्वाहा भद्रकालि ओं ह्रीं ह्रीं हूं हूं भगवति श्मशानकालि नरकङ्कालमालाधारिणि ह्रीं क्रीं कुणपभोजिनि फ्रें फ्रें स्वाहा श्मशानकालि क्रीं हूं ह्रीं स्त्रीं श्रीं क्लीं फट् स्वाहा कालकालि, ओं फ्रें सिद्धिकरालि ह्रीं ह्रीं हूं स्त्रीं फ्रें नमः स्वाहा गुह्यकालि, ओं ओं हूं ह्रीं फ्रें छ्रीं स्त्रीं श्रीं क्रों नमो धनकाल्यै विकरालरूपिणि धनं देहि देहि दापय दापय क्षं क्षां क्षिं क्षीं क्षं क्षं क्षं क्षं क्ष्लं क्ष क्ष क्ष क्ष क्षः क्रों क्रोः आं ह्रीं ह्रीं हूं हूं नमो नमः फट् स्वाहा धनकालिके, ओं ऐं क्लीं ह्रीं हूं सिद्धिकाल्यै नमः सिद्धिकालि, ह्रीं चण्डाट्टहासनि जगद्ग्रसनकारिणि नरमुण्डमालिनि चण्डकालिके क्लीं श्रीं हूं फ्रें स्त्रीं छ्रीं फट् फट् स्वाहा चण्डकालिके नमः कमलवासिन्यै स्वाहालक्ष्मि ओं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नमः महालक्ष्मि, ह्रीं नमो भगवति माहेश्वरि अन्नपूर्णे स्वाहा अन्नपूर्णे, ओं ह्रीं हूं उत्तिष्ठपुरुषि किं स्वपिषि भयं मे समुपस्थितं यदि शक्यमशक्यं वा क्रोधदुर्गे भगवति शमय स्वाहा हूं ह्रीं ओं, वनदुर्गे ह्रीं स्फुर स्फुर प्रस्फुर प्रस्फुर घोरघोरतरतनुरूपे चट चट प्रचट प्रचट कह कह रम रम बन्ध बन्ध घातय घातय हूं फट् विजयाघोरे, ह्रीं पद्मावति स्वाहा पद्मावति, महिषमर्दिनि स्वाहा महिषमर्दिनि, ओं दुर्गे दुर्गे रक्षिणि स्वाहा जयदुर्गे, ओं ह्रीं दुं दुर्गायै स्वाहा, ऐं ह्रीं श्रीं ओं नमो भगवत मातङ्गेश्वरि सर्वस्त्रीपुरुषवशङ्करि सर्वदुष्टमृगवशङ्करि सर्वग्रहवशङ्करि सर्वसत्त्ववशङ्कर सर्वजनमनोहरि सर्वमुखरञ्जिनि सर्वराजवशङ्करि ameya jaywant narvekar सर्वलोकममुं मे वशमानय स्वाहा, राजमातङ्ग उच्छिष्टमातङ्गिनि हूं ह्रीं ओं क्लीं स्वाहा उच्छिष्टमातङ्गि, उच्छिष्टचाण्डालिनि सुमुखि देवि महापिशाचिनि ह्रीं ठः ठः ठः उच्छिष्टचाण्डालिनि, ओं ह्रीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां मुखं वाचं स्त म्भय जिह्वां कीलय कीलय बुद्धिं नाशय ह्रीं ओं स्वाहा बगले, ऐं श्रीं ह्रीं क्लीं धनलक्ष्मि ओं ह्रीं ऐं ह्रीं ओं सरस्वत्यै नमः सरस्वति, आ ह्रीं हूं भुवनेश्वरि, ओं ह्रीं श्रीं हूं क्लीं आं अश्वारूढायै फट् फट् स्वाहा अश्वारूढे, ओं ऐं ह्रीं नित्यक्लिन्ने मदद्रवे ऐं ह्रीं स्वाहा नित्यक्लिन्ने । स्त्रीं क्षमकलह्रहसयूं.... (बालाकूट)... (बगलाकूट )... ( त्वरिताकूट) जय भैरवि श्रीं ह्रीं ऐं ब्लूं ग्लौः अं आं इं राजदेवि राजलक्ष्मि ग्लं ग्लां ग्लिं ग्लीं ग्लुं ग्लूं ग्लं ग्लं ग्लू ग्लें ग्लैं ग्लों ग्लौं ग्ल: क्लीं श्रीं श्रीं ऐं ह्रीं क्लीं पौं राजराजेश्वरि ज्वल ज्वल शूलिनि दुष्टग्रहं ग्रस स्वाहा शूलिनि, ह्रीं महाचण्डयोगेश्वरि श्रीं श्रीं श्रीं फट् फट् फट् फट् फट् जय महाचण्ड- योगेश्वरि, श्रीं ह्रीं क्लीं प्लूं ऐं ह्रीं क्लीं पौं क्षीं क्लीं सिद्धिलक्ष्म्यै नमः क्लीं पौं ह्रीं ऐं राज्यसिद्धिलक्ष्मि ओं क्रः हूं आं क्रों स्त्रीं हूं क्षौं ह्रां फट्... ( त्वरिताकूट )... (नक्षत्र- कूट )... सकहलमक्षखवूं ... ( ग्रहकूट )... म्लकहक्षरस्त्री... (काम्यकूट)... यम्लवी... (पार्श्वकूट)... (कामकूट)... ग्लक्षकमहव्यऊं हहव्यकऊं मफ़लहलहखफूं म्लव्य्रवऊं.... (शङ्खकूट )... म्लक्षकसहहूं क्षम्लब्रसहस्हक्षक्लस्त्रीं रक्षलहमसहकब्रूं... (मत्स्यकूट ).... (त्रिशूलकूट)... झसखग्रमऊ हृक्ष्मली ह्रीं ह्रीं हूं क्लीं स्त्रीं ऐं क्रौं छ्री फ्रें क्रीं ग्लक्षक- महव्यऊ हूं अघोरे सिद्धिं मे देहि दापय स्वाहा अघोरे, ओं नमश्चा ameya jaywant narvekar

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