देवी वन्दना
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
 "सदा भवानी दाहिनी सन्नमुख रहत गणेश, पांच देव रक्षा करें बह्मा, विष्णु, महेश"
आजकल कोविड नियमों की अनुपालना के कारण बगड़ में जगह जगह माता पंडाल नही सजते घरों में ही होती ह पूजा या बगड़ दुर्गा मंदिर में होती ह माँ की पूजा अर्चना।
अब मैं माता के नो रूपो के बारे आपको बताता हूं
जिनके अलग -अलग नौ नाम है।
1 शैलपुत्री - जो हिमालय की तपस्या और प्रार्थना से प्रसन्न हो कृपापूर्वक उनकी पुत्री के रूप में प्रकट हुई, 
 
2 ब्रह्मचारिणी - सच्चिदानन्दमय ब्रह्मस्वरूप की प्राप्ति कराना जिनका स्वभाव हो, वे ब्रह्मचारिणी कहलाई.
 
3 चंद्रघंटा - आल्हाद्कारी चन्द्रमा जिनकी घंटा में स्थित हो, उन देवी का नाम चंद्रघंटा है.
 
 
4 कूष्मांडा - त्रिविध तापयुक्त संसार जिनके उदार में स्थित हैं, वे भगवती कूष्मांडा कहलाई.
 
5 स्कंदमाता - भगवती शक्ति से उत्पन्न हुए सनत्कुमार का नाम स्कन्द है, उनकी माता होने से वे स्कंदमाता कहलाई.
 
 
6 कात्यायनी -देवताओं के कार्यसिद्धि हेतु महर्षि कात्यायन के आश्रम में प्रकट हुई, जिससे उनके द्वारा अपने पुत्री मानने से कात्यायनी नाम से प्रसिद्द हुई.
 
7 कालरात्रि - काल की भी रात्रि (विनाशिका) दुष्ट संहारक होने से उनका नाम कालरात्रि पड़ा ।
 
8 महागौरी - तपस्या के द्वारा महँ गौरवर्ण प्राप्त करने से महागौरी कहलाई।
 
9 सिद्धिदात्री - सिद्धि अर्थात सर्व सिद्ध कारिणी मोक्षदायिनी होने से सिद्धिदात्री कहलाती है।
अनेक प्रकार के आभूषणों और रत्नों तथा अस्त्र शस्त्रों से सुशोभित ये देवियाँ क्रोध से भरी हुई और और मन मोहक दिखाई देती हैं. ये शक्ति, त्रिशूल हल, मुसल, खेटक, तोमर,शंख, चक्र, गदा, परशु, पाश, कुंत, एवं उत्तम शांर्गधनुष आदि अस्त्र-शस्त्र अपने हाथों में धारण किए रहती हैं, जिसका उद्देश्य दुष्टों का नाश कर अपने भक्तों को अभयदान देते हुए उनकी रक्षा कर संसार में शांति व्याप्त करना और मन वांच्छित वर, मुराद पुरी करना और अन्न धन के भण्डार भरती है।
जिनके अलग -अलग नौ नाम है।
मेरे साथ आप भी करिये जगत पालक ,संहारक मां के नो रूपों के दर्शन
1 शैलपुत्री - जो हिमालय की तपस्या और प्रार्थना से प्रसन्न हो कृपापूर्वक उनकी पुत्री के रूप में प्रकट हुई, 
 2 ब्रह्मचारिणी - सच्चिदानन्दमय ब्रह्मस्वरूप की प्राप्ति कराना जिनका स्वभाव हो, वे ब्रह्मचारिणी कहलाई.
 3 चंद्रघंटा - आल्हाद्कारी चन्द्रमा जिनकी घंटा में स्थित हो, उन देवी का नाम चंद्रघंटा है.
 4 कूष्मांडा - त्रिविध तापयुक्त संसार जिनके उदार में स्थित हैं, वे भगवती कूष्मांडा कहलाई.
 5 स्कंदमाता - भगवती शक्ति से उत्पन्न हुए सनत्कुमार का नाम स्कन्द है, उनकी माता होने से वे स्कंदमाता कहलाई.
 6 कात्यायनी -देवताओं के कार्यसिद्धि हेतु महर्षि कात्यायन के आश्रम में प्रकट हुई, जिससे उनके द्वारा अपने पुत्री मानने से कात्यायनी नाम से प्रसिद्द हुई.
 7 कालरात्रि - काल की भी रात्रि (विनाशिका) दुष्ट संहारक होने से उनका नाम कालरात्रि पड़ा ।
 8 महागौरी - तपस्या के द्वारा महँ गौरवर्ण प्राप्त करने से महागौरी कहलाई।
 9 सिद्धिदात्री - सिद्धि अर्थात सर्व सिद्ध कारिणी मोक्षदायिनी होने से सिद्धिदात्री कहलाती है।
अनेक प्रकार के आभूषणों और रत्नों तथा अस्त्र शस्त्रों से सुशोभित ये देवियाँ क्रोध से भरी हुई और और मन मोहक दिखाई देती हैं. ये शक्ति, त्रिशूल हल, मुसल, खेटक, तोमर,शंख, चक्र, गदा, परशु, पाश, कुंत, एवं उत्तम शांर्गधनुष आदि अस्त्र-शस्त्र अपने हाथों में धारण किए रहती हैं, जिसका उद्देश्य दुष्टों का नाश कर अपने भक्तों को अभयदान देते हुए उनकी रक्षा कर संसार में शांति व्याप्त करना और मन वांच्छित वर, मुराद पुरी करना और अन्न धन के भण्डार भरती है।
 माता आप सभी पर भी अपनी असीम कृपा बनाये रखे इन्हीं शुभकामनाओं के साथ इजाजत चाहुंगा


मां जगदम्बा की अनुकम्पा सभी पर बनी रहीी,यही कामना है
ReplyDeleteआपको भी नव दर्गोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं