ये वो समय था जब हम बच्चे भी जाते थे अपने बड़ो के साथ गाँव की चौपाल में ओर सुनते थे धमाल ओर देखते यह उस समय का मनोरंजन का एक मात्र साधन स्वांग।स्वगों में गाव के ही लोगो की आवाज व नकल की जाती थी और जनता हो हँसाया जाता था उस समय चाहे किसी की भी नकल कर हँसाया जाए कोई नाराज़ नही होता था अब ये मुमकिन नही लो छोटी छोटी बातों पर झगड़ने लगते है।शायद ये भी एक कारण है जिससे कि ये कलाये लुप्त हो गई है । उस समय मन को लुभाने वाले सुरीले मीठे धमाल ढप के साथ सुनने को मिल जाते थे आजकल ये सिर्फ फोन और होम थिएटर पर ही सुनने को मिलते है चौपालों में नही इर सही माने तो आजकल बहुत कम लोग ही बचे है जिन्हें ढप बजाना ओर धमाल गाना आता है ।ये भी एक कला है ढप बजाना और उस पर धमाल गाना ओर चंग बांसुरी बजाना
आज ये सब खत्म प्रायः होता जा रहा है। कारण क्या है ये तो आप ही बता सकते है?
तो उसी क्रम जो जीवित रखने के लिए मैं लेकर आया हु आपके सामने शेखावाटी के सुप्रसिद्ध चंग धमाल सुनिए ओर आनंद उठाइये
सुनिए ये धमाल
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चंग के साथ शेखावाटी का मनमोहक धमाल,बिना कजले सुहागन मेहंदी काहे से रची सुप्रसिद्ध होली धमाल
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शेखावाटी का लोकप्रिय धमाल,मतना रोवे ये नादान छोरी सासरे जाती,रेश्मानी घाघरे में लागरी पाँती धमाल
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कद आवेलो भोजाई ए राणो काछबियो, शेखावाटी का मीठा व सुरीला चंग होली धमाल एकदम देशी धमाल राजस्थानी
5
पैसों प्यारो ऐ दुनिया मे पैसों जादू गारो ये, शेखावाटी का बहुत ही शानदार राजस्थान होली चंग धमाल
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शेखावाटी का सुप्रसिद्ध चंग धमाल कटवादे_मेरा_श्याम_चंनण_बिडलो
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मेरी छोटी सी उमरिया जुल्म करे, बहुत लोकप्रिय होली धमाल नगीना डांसर के नए अंदाज़ के साथ
आपके पढ़ने लायक यहां भी है।
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