सभी पाठको देशवासियों को मेरा नमस्कार
आजकल श्राद्ध पक्ष चल रहा है। जो काम धंधे के हिसाब से सबसे खराब टाईम माना गया है। आंचलिक भाषा में इन दिनों को बळता जळता दिन भी कहा जाता है। ओर साथ ही काम काज चल रहा है लावणी का फसल कटाई कढ़ाई का तो हम भी किसान होने के नाते अब इसी काम में लगें हुए हैं क्योंकि दुकान तो इन दिनों चलनी नहीं हैं अर्थात इन दिनों सब लावणी के काम में लगें हुए है ओर दुकानदारी का काम काज फिका ही चल रहा है।
अब बात आती इस साल इस सीजन की फसल की तो कुल मिलाकर इस साल की फसल किसानों को निराश करने वाली ही रही है। पहले समय पर बारिश नहीं हुई फिर गायों ने फसल बर्बात कर दी और अन्त में आये आंधी भुचाल तेज बारिश ने फसल को गला दिया जिससे फसल उग आई मोटे अनाज की फसल तो ज्यादा तर खराब ही हो गई
और बाजरे की फसल आंधी तुफन तेज वर्षा से नीचे गर गई ओर खराब प्राय हो गई सरकार किसानों की तरफ आखें तक नहीं खोल रहा हैं
बे वक्त बारिश से खराब बाजरें की फसल
और इन आवारा पशुओं गायों से सबसे ज्यादा किसान परेशान हैं सरकार इनके लिए कोई समुचित व्यवस्था नहीं कर रही है।
न कोई गोशालाओं बनवा रही हैं न इन्हें पकड़ कर कोई सुनिश्चित जगह पर इकट्ठा करवा रही हैं बस करते रहते है बेचारे किसानों की फसल को बर्बाद
सर्दी, गर्मी, वर्शा अतिवृष्टि अनावृष्टि गाया सरकार आदी सभी की मार सहता हैं बेचारा किसान और अन्त में फसल का भाव कुछ नहीं मिला
आ जाये तो कहा जाये बेचारा किसान ??
बे वक्त बारिश से खराब चुली की फसल
इकट्ठा करके फसल निकलवाते हुए
बाजरें कि फसल की कटाई शुरू
बाजरें के सिटो पर भी गोद (चेपा) लग गया है। और दाने काले काले (कोया)पड़ गया है।
कुल मिलाकर ये कहना ठीक रहेगा कि इस साल किसान लाचार हैं सरकार कुछ नहीं कर रही हैं न किसान को मुआवजा न ऋण माफी
थेड़ बहुत पहले माफ किया वो भी कॉपरेटिव सोसाइटी वालों को उसमें भी घपला हो गया
किसी का माफ हुआ किसी का नहीं 30% किसान ही इस सोसाईटी से लॉन लेते है बाकि तो बैकों से ले रखे है निका एक रूपया भी माफ नहीं हुआ यो उनके साथ धोखा नहीं तो क्या है।
फिर भी ये सब सहन कर लेता हैं ये धरती पुत्र
मुझे फर्क हैं मेरे किसान होने पर क्योंकि मै अन्नदाता हूं
किसान अन्न-दाता हैं जो सबका पेट भरता हैं
जय किसान जय भारत
आज के लिए इतना ही नवरात्र पर्व की अग्रिम बधाई शुभकामनाएं
आजकल श्राद्ध पक्ष चल रहा है। जो काम धंधे के हिसाब से सबसे खराब टाईम माना गया है। आंचलिक भाषा में इन दिनों को बळता जळता दिन भी कहा जाता है। ओर साथ ही काम काज चल रहा है लावणी का फसल कटाई कढ़ाई का तो हम भी किसान होने के नाते अब इसी काम में लगें हुए हैं क्योंकि दुकान तो इन दिनों चलनी नहीं हैं अर्थात इन दिनों सब लावणी के काम में लगें हुए है ओर दुकानदारी का काम काज फिका ही चल रहा है।
अब बात आती इस साल इस सीजन की फसल की तो कुल मिलाकर इस साल की फसल किसानों को निराश करने वाली ही रही है। पहले समय पर बारिश नहीं हुई फिर गायों ने फसल बर्बात कर दी और अन्त में आये आंधी भुचाल तेज बारिश ने फसल को गला दिया जिससे फसल उग आई मोटे अनाज की फसल तो ज्यादा तर खराब ही हो गई
और बाजरे की फसल आंधी तुफन तेज वर्षा से नीचे गर गई ओर खराब प्राय हो गई सरकार किसानों की तरफ आखें तक नहीं खोल रहा हैं
बे वक्त बारिश से खराब बाजरें की फसल
और इन आवारा पशुओं गायों से सबसे ज्यादा किसान परेशान हैं सरकार इनके लिए कोई समुचित व्यवस्था नहीं कर रही है।
न कोई गोशालाओं बनवा रही हैं न इन्हें पकड़ कर कोई सुनिश्चित जगह पर इकट्ठा करवा रही हैं बस करते रहते है बेचारे किसानों की फसल को बर्बाद
सर्दी, गर्मी, वर्शा अतिवृष्टि अनावृष्टि गाया सरकार आदी सभी की मार सहता हैं बेचारा किसान और अन्त में फसल का भाव कुछ नहीं मिला
आ जाये तो कहा जाये बेचारा किसान ??
बे वक्त बारिश से खराब चुली की फसल
इकट्ठा करके फसल निकलवाते हुए
बाजरें कि फसल की कटाई शुरू
बाजरें के सिटो पर भी गोद (चेपा) लग गया है। और दाने काले काले (कोया)पड़ गया है।
कुल मिलाकर ये कहना ठीक रहेगा कि इस साल किसान लाचार हैं सरकार कुछ नहीं कर रही हैं न किसान को मुआवजा न ऋण माफी
थेड़ बहुत पहले माफ किया वो भी कॉपरेटिव सोसाइटी वालों को उसमें भी घपला हो गया
किसी का माफ हुआ किसी का नहीं 30% किसान ही इस सोसाईटी से लॉन लेते है बाकि तो बैकों से ले रखे है निका एक रूपया भी माफ नहीं हुआ यो उनके साथ धोखा नहीं तो क्या है।
फिर भी ये सब सहन कर लेता हैं ये धरती पुत्र
मुझे फर्क हैं मेरे किसान होने पर क्योंकि मै अन्नदाता हूं
किसान अन्न-दाता हैं जो सबका पेट भरता हैं
जय किसान जय भारत
आज के लिए इतना ही नवरात्र पर्व की अग्रिम बधाई शुभकामनाएं
आपके पढ़ने लायक यहां भी है।
No comments:
Post a Comment
आपके द्वारा दी गई टिप्पणी हमें लिखने का होसला दिलाती है।