बगड़ की उत्तर दिशा में स्थित पौराणिक श्री डेयरी वाला हनुमान जी मन्दिर पर कल दिनांक 22 जुलाई 2013 को बालाजी मन्दिर के पूर्व पुजारी श्री विश्वानन्द पुरी जी महाराज की पुण्य तिथि थी इस अवसर पर रात्रि में भजन संध्या का आयेजन किया गया तथा आज विशाल भण्डारा किया जा रहा हे। और महाराज जी की समाधी स्थल पर श्री मदन लाल कटारिया रेखावाली ढ़ाणी द्वारा पूर्व पुजारी जी श्री विश्वानन्द पुरी जी महाराज की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करवाई गई मूर्ति बहुत ही सुन्दर व आकर्षक है। ऐसे लग रहा था कि महाराज जी अभी बोल पड़ेगें। इस अवसर पर श्री चचलनाथ जी टीले के मंहत आमनाथ जी महाराज आकाशगिरी जी महाराज मन्दिर के वर्तमान पुजारी कन्हैया लाल जी सहित अनेक साधु संत मौजुद थे।
वैसे ये मूर्ति स्थापना और समाधी स्थल मन्दिर परिसर के बाहर स्थित है। और महाराज की की मूर्ति श्री बालाजी महाराज के मुख्य मन्दिर को पीठ देकर बैठाई गई हैं जो कि गलत है और मुख्य मन्दिर की मूर्ति से ये मूर्ति काफी उचाइ पर स्थित हैं ये भी गलत बताया जा रहा है। ऐसा कल ही कई लोगों के मुँह से सुनने को भी मिल रहा है। पर वहां पर स्थित आचार्यो को इसकी कोई आपत्ति नजर नहीं आई या उन्होने ये बात कहना उचित नहीं समझा क्योकि इसके निर्माता ये बात मानने को तैयार ही नहीं हो ऐसा भी हो सकता हैं
और मेरी नजर में भी ये गलत है एक तो पुजारी महाराज की समाधी स्थल मन्दिर परिसर से बाहर बनाया गया फिर दुसरी बात उनकी मूर्ति की स्थापना श्री बालाजी महाराज के मन्दिर को पीठ देकर करवाई गई और मन्दिर की मूर्ति से उसकी उचाई काफी दी गई ये मेरे अनुसार और कई मतों के अनुसार गलत लगता है। श्री महाराज की की समाधी मन्दिर परिसर में ही श्री बालाजी के मन्दिर के परिसर में ही बननी चाहिए थी उन्हे पीठ देकर नहीं , बाकि क्या है ये तो वास्तु शास्त्र ही जाने और भगवान जाने मुझै जैसा लगा मैने लिख दिया है वैसे कहा जाये तो ये मन्दिर तो बहुत पुराना है बगड़ व आस पास के लोगों में इसकी बहुत मान्यता है हैं ये बगड़ की एक शक्ति पीठ है।
पर आजकल देखने में आया है यहां पर कुछ लोगों में पारस्परिक राजनैतिक स्टंट बना हुआ है कोठ्र किस कार्य पर पैसे लगा रहा हैं तो कोई किसी कार्य पर एक से बढ़कर दुसरा बना हुआ है कुछ भी हो उनकी होड में मन्दिर का विकास तो हो ही रहा है। मन्दिर परिसर में ही माता अंजनी का मन्दिर बनाया जा रहा है। जिसका कार्य प्रगति पर है। इस मन्दिर के निर्माता बनिये लोगों ने तो शायद इस मन्दिर की तरफ से अपना ध्यान ही हटा लिया हैं पर फिर भी आज भी यहां ऐसे श्रद्धालु भक्त मौजुद है चाहे वो होड में ही हो जो विकास कार्य करवा रहें है। जो भी हो ये बगड़ का मन्दिर आजकल बहुत ही चहल पहल युक्त और मनोरम बनता जा रहा हैं जो बगड़ के श्रद्धालुओ के लिए बहुत ही अच्छी बात है
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