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Thursday, March 30, 2017

खेजड़ी वृक्ष की महिमा जो आज खतरे में है

सभी क्षेत्रवासियों, मित्रों को को 30 मार्च राजस्थान दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं  और आज  राजस्थान के लोक पर्व गणगौर  का त्यौहार है। तो आप सभी को गणगौर पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं  
मैने कुछ दिन पहले एक पोस्ट डाली थी की राजस्थान का कल्प वृक्ष  राज्य वृक्ष खेजड़ी आज खतरे में है। उसी पर आज नेट पर विचरण करते करते मेरे मित्र  जी आर ढ़ाका फतेहपुरिया की एक खेजड़ी पर रचना पढ़ने का मिली  अच्छी रचना है। रचना में दर्शाया गया है कि किस प्रकार ये वृक्ष खुद दुःख सहन करके भी दुसरो को यानि हमें सुख प्रदान करता  है।   मुझे अच्छी लगी और आपको कैसी लगती हैं  आप जाने

राज्य-वृक्ष खेजड़ी की महिमा

म्हारै मरूधर रो है सांचो,
सुख दुख रो साथी खेजड़लो।
तिसां मरै पण छायां करै है,
करड़ी छाती खेजड़लो।।
आसोजां रा तप्या तावड़ा,
काचा लोहा पिघळग्या,
पान फूल री बात करां के,
बै तो कद ही जळबळग्या,
सूरज बोल्यो छियां न छोडूं,
पण जबरो है खेजड़लो,
सरणै आय'र छियां पड़ी है,
आप बळै है खेजड़लो।।
सगळा आवै कह कर ज्यावै,
मरु रो खारो पाणी है,
पाणी क्यां रो ऐ तो आंसू,
खेजड़लै ही जाणी है,
आंसू पीकर जीणो सीख्यो,
एक जगत में खेजड़लो,
सै मिट ज्यासी अमर रवैलो,
एक बगत में खेजड़लो।।
गांव आंतरै नारा थकग्या,
और सतावै भूख घणी,
गाडी आळो खाथा हांकै,
नारां थां रो मरै धणी,
सिंझ्या पड़गी तारा निकळ्या,
पण है सा'रो खेजड़लो,
'आज्या' दे खोखां रो झालो,
बोल्यो प्यारो खेजड़लो।।
जेठ मास में धरती धोळी,
फूस पानड़ो मिलै नहीं,
भूखां मरता ऊंठ फिरै है,
ऐ तकलीफां झिलै नहीं,
इण मौकै भी उण ऊंठां नै,
डील चरावै खेजड़लो,
अंग-अंग में पीड़ भरी पण,
पेट भरावै खेजड़लो।।
म्हारै मुरधर रो है सांचो,
सुख दुख साथी खेजड़लो।
तिसां मरै पण छयां करै है,
करड़ी छाती खेजड़लो।।

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