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Saturday, August 21, 2010

अजब -गजब की चिज है स्वाद बेमिसाल

आजकल बरसात का मौसम चल रहा है। और बाजरे की फसल उगी हुई है। इस फसल में खाने के लिए जो फल लगते है मैं आज आपको उन्हीं के बारे में रूबरू करवाने जा रहा हूं  (मौसमी फल)
     

  जी हां मैं बात कर रहा हूं बाजरे की फसल में लगने वाले फल काकड़ी,मतिरे,टिण्डे आदि की  इस मौसम में शायद ही काई एसा होगा जिसका मन काकड़ी मतिरे खाने को नही करता है।
 कल मुझे मेरे रिश्तेदार के यहाँ जाना पड़ गया वहां पर मैने एक अजब गज़ब चिज देखी वो थी ये काकड़ी जिसकी लम्बाई 2.6 फिट है। तथा मोटाई 9 इंची के व्यास में तथा इसका वजन 6.300 किलोग्राम है। इतनी लम्बी काकड़ी मैने तो अपने जीवन में पहली बार देखी है। शायद आप भी इसको पहली बार ही देख रहें होगें।
 मेरे रिस्तेदारों का गांव पड़ता हे नान का बास जो चुरू रोड़ पर है। नान (रिजाणी) उनके यहां ये बहुत लगते है। उन्होंन मुझे बुलाया था मैं आपको बता दूं मुझे इन्हें मोटरसाईकल पर एक कट्टे में बांधकर लाना पड़ा और कल पुरे दिन बारिश हो रही थी तो मुझे भी 40 की.मी. का सफर मोटरसाईकिल पर भिगते हुए भी
करना पड़ा एक साथ दो दो आनन्दमय अनुभव एक बारिश के सुहाने सफर का और दूसरी ये काकड़ि खाई और अपने परिवार वालों को भी लाकर खिलाई।  मैं वहा से काफी मात्रा में लेकर आया । वहां लगभग काकड़ी इसी लम्बाई की थी
 इन फलों के बारे में हमारे यहा एक लोक गीत भी बना है।
 मुझे अचरज हुआ इसको अगर 5-7 लोगों का परिवार काटकर खाये तो पेट भर कर खा सकता है। इसको खाने के बाद पुरे दिन भर और कुछ खाने की इच्छा ही  पैदा नहीं होती। मिठास इतना की पुछो मत अब आप कहोगें की आप तो हमारा मन ललचा रहे हो। नही ऐसी कोई बात नहीं है अगर आप भी खाना चाहते है आइये हमारे घर आपका स्वागत है। एक साथ मिल बांट कर स्वाद लेंगे इनको खाने का। अगर आपको कोरियर द्वारा भी भेजें जो कमबख़्त कोरियर वाला ही
इनको चट कर जायेगा। 
ये फोटों मैने मेरे मोबाईल द्वारा ही खिचे थे इनकी फोटो मैं आपको जरूर दिखाउगां नहीं तो आप कहोगे की मैं झुठ बोल रहा हूं। मैने सोचा क्यों न इस अजब गजब काकड़ी को आपके साथ खाकर तो शेयर नहीं कर सका कम से कम बता कर तो शेयर करू।
 फोटो मोबाईल से खिंचे होने के कारण हो सकता है शायद आपको पूरे साफ दिखाई न दे
परन्तु उस समय मेरे पास मोबाइल के अलावा और कोई साधन फोटो खिचने के लिए उपलब्ध नहीं था
                
       
बस अब काकड़ी को काट लिया है इससे आगे का हाल मैं आपको नहीं दिखा सकता भाई मुझे खाना भी तो है इसे
 इसी के साथ इजाजत दीजिए ....


 

  


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5 comments:

  1. अगर मै आपके निमंत्रण पर कल आपके साथ होता तो बरसात में भीग कर बीमार हो गया होता | अब इतने चित्र आपने लगा दिया है तो पाठकों का तो खाने के लिए मन ललचा रहा होगा |

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  2. surendra jee aapke blog par pahli baar aaya.aapke baare me jankar kafi achchha lagaa..aap jaise seedhe sachche log mujhe pasand hai..mai bhi shekhawati se hi hun ...sikar shahar se. filhal jaipur me rajasthan patrioka group me hun ..apse dosti kar ke achchha lagega

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  3. अरे भाई अठै भी भिजवा दिया करो।

    राम राम

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  4. श्री सुरेन्द्र जी,

    प्रस्तुत चित्र को देखकर मैं यदि सही समझ पाया हूँ तो पूर्वी राजस्थान में इस फल को कच्चे को कचरा या काचरा और पकने पर फूँट कहते हैं। इनका वजन २ से १० किलो तक होता है। ककडी और फूँट एक ही प्रजाति के फल हैं। इस प्रकार की बातें आपके ब्लॉग को जीवन्त बनाती हैं और साथ ही साथ बाहरी लोगों को इनसे अवगत भी करवाती हैं। आशा है कि आप इस प्रकार की जानकारी प्रदान करते रहेंगे।

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  5. Surendar Ji,
    Aapke dawara di gyi kaachar ki jankari bahut aachhi lagi.kass hum bhi aapke yaha hote to kachhar khane ka mazza to lete,par kya kare. Kyoki hamare yeha dholpur me kachhar hote bhi nahi hain. Please Kuch kachhar hamare liye bhi bhejana ji, Sirf Photo mein, warna corier wala kha jayega. THANKS.

    Ramesh Fulwariya (Headmaster)
    Govt.Upper Primary School,Dholpur(Raj.)

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