लीजिए आज लखबीर सिंह लख्खा के कर्ण प्रिय स्वरों में सुनिये माता की भेंट।
"कभी फुरसत हो तो जगदम्बे निर्धन के घर भी आ जाना, जो रूखा सुखा दिया हमें मां उसका भोग लगा जाना..."
कितना भाव पूर्ण भजन है। आप भी देखे और बतायें
प्यारा सजा हैं दरबार भवानी....
श्री दुर्गा जी की आरती
प्यारा सजा हैं दरबार भवानी....
श्री दुर्गा जी की आरती
जय अम्बे गौरी, मैया श्यामा गोरी । तुमको निशि दिन ध्यावत,हरि ब्रह्माः शिवरी ।।
मांग सिंदूर विराजत,टीको मृगमद को । उज्जवल से दोऊ नैना,चन्द्रवदन नीको ।।
कनक समान कलेवर,रक्ताम्बर राजै । रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ।।
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धरी । सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ।।
कानन कुण्डल शोभित,नासाग्रे मोती । कोटिक चन्द्र दिवाकर, राजत सम ज्योति ।।
शुम्भ निशुम्भ विदारे, महिषासुर धाती । धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ।।
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे । मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ।।
ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमलारानी । आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ।।
चैंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरू । बाज ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ।।
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता।।
भुजा चार अति शेभित, वरमुद्र धारी । मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ।।
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती । श्रीमालकेतु में राजत,कोटि रतन ज्योति ।।
अम्बे जी की आरती, जो कोई नर गावे । कहत शिवानन्द स्वामी, सुख-सम्पत्ति पावे ।।
मांग सिंदूर विराजत,टीको मृगमद को । उज्जवल से दोऊ नैना,चन्द्रवदन नीको ।।
कनक समान कलेवर,रक्ताम्बर राजै । रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ।।
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धरी । सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ।।
कानन कुण्डल शोभित,नासाग्रे मोती । कोटिक चन्द्र दिवाकर, राजत सम ज्योति ।।
शुम्भ निशुम्भ विदारे, महिषासुर धाती । धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ।।
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे । मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ।।
ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमलारानी । आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ।।
चैंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरू । बाज ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ।।
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता।।
भुजा चार अति शेभित, वरमुद्र धारी । मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ।।
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती । श्रीमालकेतु में राजत,कोटि रतन ज्योति ।।
अम्बे जी की आरती, जो कोई नर गावे । कहत शिवानन्द स्वामी, सुख-सम्पत्ति पावे ।।
देवी वन्दना
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
साया
Sundar prasturi
ReplyDeleteNav Durgotsav kee bahut bahut haardik shubhkamnayne...
बहुत सुंदर भजन है | आपको नवरात्रों की शुभकामनाये |
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