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तरफ से जाते जाते वर्ष 2017 की राम राम ये वर्ष आपके जीवन में क्या लेकर आया क्या देकर गया ये सब आपको अपना - अपना पता ही है।
देश में ये साल GST की मार के अलावा कुछ नहीं दे सका
हां उत्तर-प्रदेश, गुजरात, गोवा और मणिपुर के चुनाव के नतीजे देकर गया अन्धभक्तो को क्या दिखाई दिया ये तो वो ही जाने, ये नतीजे अन्ध भक्तो की भक्ती कही जाये या जैसा बवाल मचा हुआ है इवीएम मशीन की मेहरबानी ये तो राम जाने या मशीने जाने अगर जांच की जाती तो शायद दूध का दूध और पानी का पानी हो सकता था पर न्यालय ने ऐसा कोई आदेश नहीं खैर कुछ भी हो मै इस पचडै में नहीं पड़ना चाहता। वो ही एक दुसरे पर छींटाकशी आरोप प्रत्यारोप बस होना जानी कुछ नहीं ।बक बक बक के अलावा झुठे वादे हमारे झुन्झुनूं में भी महारानी आई और झुठे वादे दिखाकर चली गई पहले से प्रस्तावित सड़को का नाप गिनाकर चली गइ देना लेना कुछ नहीं अगर समीक्षा की जाये तो ये साल भी कुल मिलाकर खराब सा ही रहा लोगों के लिए निराशा जनक ही रहा महगाई की तो क्या कहूं जिनके घर लगे हुए है उन्हे सब मालूम है महगाई ने क्या रंग दिखाया है इस साल में व्यापारी वर्ग अभी तक सम्भल नहीं पाया हे।
तोड़ फोड आगजनी घुसपेट आतंकवाद ये सब तो इस देश में मामूली बाते हो कर रह गई यहां सियासी दावपेचों में ही टाइम् नहीं है।
इस साल की समीक्षा में कितना भी लिखो कम ही कम लगता हैं ज्यादा लिखे भी क्यों ज्यादा कुछ दिया भी तो नही इस साल ने तो फिर यहीं विराम
इसी के साथ 2017 को बाय बाय 2018 का स्वागत देखे कैसी आती है 2018 ?

देश में ये साल GST की मार के अलावा कुछ नहीं दे सका
हां उत्तर-प्रदेश, गुजरात, गोवा और मणिपुर के चुनाव के नतीजे देकर गया अन्धभक्तो को क्या दिखाई दिया ये तो वो ही जाने, ये नतीजे अन्ध भक्तो की भक्ती कही जाये या जैसा बवाल मचा हुआ है इवीएम मशीन की मेहरबानी ये तो राम जाने या मशीने जाने अगर जांच की जाती तो शायद दूध का दूध और पानी का पानी हो सकता था पर न्यालय ने ऐसा कोई आदेश नहीं खैर कुछ भी हो मै इस पचडै में नहीं पड़ना चाहता। वो ही एक दुसरे पर छींटाकशी आरोप प्रत्यारोप बस होना जानी कुछ नहीं ।बक बक बक के अलावा झुठे वादे हमारे झुन्झुनूं में भी महारानी आई और झुठे वादे दिखाकर चली गई पहले से प्रस्तावित सड़को का नाप गिनाकर चली गइ देना लेना कुछ नहीं अगर समीक्षा की जाये तो ये साल भी कुल मिलाकर खराब सा ही रहा लोगों के लिए निराशा जनक ही रहा महगाई की तो क्या कहूं जिनके घर लगे हुए है उन्हे सब मालूम है महगाई ने क्या रंग दिखाया है इस साल में व्यापारी वर्ग अभी तक सम्भल नहीं पाया हे।
तोड़ फोड आगजनी घुसपेट आतंकवाद ये सब तो इस देश में मामूली बाते हो कर रह गई यहां सियासी दावपेचों में ही टाइम् नहीं है।
इस साल की समीक्षा में कितना भी लिखो कम ही कम लगता हैं ज्यादा लिखे भी क्यों ज्यादा कुछ दिया भी तो नही इस साल ने तो फिर यहीं विराम
इसी के साथ 2017 को बाय बाय 2018 का स्वागत देखे कैसी आती है 2018 ?
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