

कहाँ से आयेगा अन्न-पूर्णा रसोई का धान
आजकल किसान आवारा गायो से बहुत परेशान है जो लगातार किसान की फ़सलो को नुकसान पहुँचा रही है रात रात जागकर रखवाली करनी पड़ रही है न तो सरकार इनका कोई इंतजाम कर रही है और न कोई ओर संस्था। रात को 40-50 गायो का झुंड आता है और पूरी फ़सलो को रौंद कर चला जाता है अब किसान क्या करे ? ये प्राकृतिक आपदाओं के अलावा अलग से नई आपदा कहे या विपदा आ गई है किसान के सामने पर बेचारा किसान करे तो क्या करे? इन समस्याओं के चलते अगर किसान ने अन्ततः तग आकर खेती करना छोड़ दिया तो रसोई मे चूल्हा जलाने तक की नौबत आ जायेगी। किसान जो दिनरात मेहनत करके फ़सल उगाता है उन्हें सींचता है उनकी देखभाल करता है जिसके लिए उसे चाहे सर्दियों की मार सहनी पड़े या गर्मियों की धूप या बारिश की बौछारें खानी पड़े पर हर हालत में वो अपनी फ़सलो की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करता है। इसके लिए न तो कोई सरकार उसे सुरक्षा मुहैया करवाती है और न ओर कोई बीमा कम्पनी उसे ये सब खुद सहन करना पड़ता है जबकि बैंक हर KCC कार्ड धारक की हर फसल की बीमा व्यक्तिगत खाते के हिसाब से करते है ओर हर फसल के 600-700 रुपये बीमा के जोड़ देते है लेकिन अगर किसी एक खाता धारक की फसल खराब या इन आपदाओं के कारण नष्ठ हो जाये तो उसे मुवावजा नही मिलता मुवाज़े के लिए पूरी पंचयात या पर हल्के की नुकसान होने की पटवारी रिपोर्ट पर सरकार के निर्देशानुसार मुवावजा तय करके मिलता है है तो व्यक्तिगत फसल बीमा का क्या औचित्य हुवा??? एक तो महंगे भाव के खाद बीज लेने होते है और खरपतवार अलग से ओर सरकार तो सिचाई के लिए फ्री लाइट देना तो अलग बात है 5-6घण्टे से ज्यादा लाइट किसानों को देती ही नही है। दूसरी तरफ कुवो में घटता जल स्तर भी किसान का दुश्मन बन हुवा है।साल दर साल जल स्तर तेजी से घटता जा रहा है और ऊपर से ये विभाग के ये मनमर्जी के बिल चुकाने पड़ रहे है
मेरा मानना है कि अगर किसान इस सभी आपदाओं के चलते अगर तंग आकर फसलें उगाना छोड़ देगा तो क्या होगा? कभी इस पर विचार किया है ?


जिस दिन किसान सही मायने में अपनी पे आ गया तो
न तो रसोई में बनाने की ओर न शौचालयों में जाने जरूत पड़ेगी। इन नेताओ की नेतागिरी धरी की धरी रह जायेगी।
नेता लोगो किसान को लूट के खाना और बहकना छोड़ दो नही....
सरकार आवारा गायो के लये कोई समुचित व्यस्था करवाये।
धरती पुत्र करे पुकार इनकी भी सुने सरकार
जय जवान जय किसान
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