आजकल गांव क हर बुढ़ बुज़ुर्ग के मुण्डे स यो ही बात सुणन नै मिलरी हैं "जाट्यां न तो खाई सो खाई इण लट (कातरो) तो मिनखा को भी जीवणों दुबर कर दियो"
शायद राजस्थान और शेखावाटी का मिनख इं जीव सूं भली भांति जाणकार होगा।
यो छोटो सो जीव जो थानै फोटू में दिखरयो है यो ज्यादातर शेखावाटी र इलाके में ही ज्यादा पायो जावे हैं और इने लट (कातरों) बोल्यों /कहयो जा है। इं रो विज्ञान को के नाम है यो तो मैं कुनी जाणू पर इतणे जाणू हूं कियो जीव है बड़ो ही खतरनाख यो पुरी की पुरी हरी लूंग (पत्तीयों) की जांटी (खेजड़ी ) न एकदम चट कर जावे हैं और एकदम सुखी बणा दे है।
यो जीव आजकल घरां में गुदड़ा, खाटली, और कमरा में अपणों डेरो जमा राख्यों है।रात नं जद देखा तो कमरा की छात के कमरां का कुणा के गुदड़ा, डांगरा की लास, किवाड़ क लारने घणों घणों भेळो होयड़ो मिले हैं
इं जीव रो प्रकोप आजकल म्हारे गावं मालीगांव में भोत ही ज्यादा होरयो है
यो जीव आजकल जांट्या के साथ साथ मिनखा रो भी जीवणों खराब कर राख्यों है यो जीव ठण्ड मं तो लूंग खा अर तावड़े मं घरां में आकर भेळो हो जावे है
यो एक प्रकार सूं जहरीलो किड़ो है जै अगर यो कोई माणस क शरीर पर फिरज्या जो पुरे शरीर पर खुजली चाल ज्या और फदेड़ा सा फदेड़ा( एलर्जी)सा हो जावे है ,इंजीव नै पैदा करण हाळो एक कीट (कातर हाळी फूदी) बताई जा वे है जो जांटियां के उपर अण्डा दैवे है और अण्डा भी एक कीट (फूदी) हजारा की संख्या में देवे है। जीं सू यो जीव पैदा हावे हैं यो जीव शरीर पर घुमते टाईम अपणे मुण्डे से एक अलग तरीक को लार (पदार्थ) शरीर पर छोड़ दे है जिसूं पुरे शरीर पर खुजली चाल जवे हैं और बिको इलाज प्राथमिक उपचार तो तुरंत ठण्डे पानी से नहाणे और सरसूं को तेल लगाणें सूं क्यू राहत मिलै है। और बाद में डाक्टरी सलाह और दुआई ,
यो छोटो सो जीव कैया अपणे मुण्डे सं इतनी बड़ी जांटी की लूंग नं ख जावे है यो ताज्जुब की बात हैं
यो पैदा हावै है जो बिल्कुल ही छोटो सो होवै है जो निचे की फोटू में दिखायों हैं औ बाद में इंकी लम्बाई 3 इंच तक की हो ज्या है।
जियां फोटू मं जाट्या दिखरी है हरी भरी लहलाती जाट्या नं यो कैया सुखी बणा दी है लगभग जाट्यां सुख गी,किसान मजदूर की हमदर्द जांटी (खेजड़ी) की या हालत बणा दी है इं कातरं जीव।
जाटीं न किसान की सच्ची दोस्त मानी जावे हैं क्यूंकि जांटी ही किसान नं समय समय पर सहायता देती रवै है जियां लावपणी के टाइंम छाया बाळण ने लकड़ी, पशुआ के चारे खातर लूंग और खेत की माटी के कटाव ने रोके हैं,सांग सब्जी खातर सांगरी और खोखा देवे है। इं प्रकार किसान की भरपूर सहायता करे है या खेजड्री और इं नं यो बैरी खारहयो है। इंको कोई दवा या इंलाज भी कौनी बड्रा बुजुर्ग कहवै है कि यो तो तावड़े से ही मरगो नाही कौनी मरे इंकी कोई दवाई भी हाल ताई कौनी बणी।
लट कातरं की खायेड़ी बिचारी जाट्यां, अब कठे सूं आकं सांगरी लागेगी और कठे सूं लूंग होगी।
इं लट को पतो भी कोनी चाले की कब फिरगी जद खुजली चाले जद पतो चालै की या तो अपणों काम करगी अब तो नहाणे ही पड़सी,रात नं जद सोवां तो मन मं विश्वास कर अर दुसालो ओड सो जावा कि फिरगी तो फिरती रहसी
ओर के करा पण ये कोनी डटे रातुं फिरबो करें सोवणें भी दुभर होग्यो
चर्चा दो ब्लॉगों की
अब थे बताओं इतणा कातरा ने देख के थारो इं गुदड़े पर सोवण न जी करसी के। |
यो छोटो सो जीव जो थानै फोटू में दिखरयो है यो ज्यादातर शेखावाटी र इलाके में ही ज्यादा पायो जावे हैं और इने लट (कातरों) बोल्यों /कहयो जा है। इं रो विज्ञान को के नाम है यो तो मैं कुनी जाणू पर इतणे जाणू हूं कियो जीव है बड़ो ही खतरनाख यो पुरी की पुरी हरी लूंग (पत्तीयों) की जांटी (खेजड़ी ) न एकदम चट कर जावे हैं और एकदम सुखी बणा दे है।
यो जीव आजकल घरां में गुदड़ा, खाटली, और कमरा में अपणों डेरो जमा राख्यों है।रात नं जद देखा तो कमरा की छात के कमरां का कुणा के गुदड़ा, डांगरा की लास, किवाड़ क लारने घणों घणों भेळो होयड़ो मिले हैं
इं जीव रो प्रकोप आजकल म्हारे गावं मालीगांव में भोत ही ज्यादा होरयो है
यो जीव आजकल जांट्या के साथ साथ मिनखा रो भी जीवणों खराब कर राख्यों है यो जीव ठण्ड मं तो लूंग खा अर तावड़े मं घरां में आकर भेळो हो जावे है
यो एक प्रकार सूं जहरीलो किड़ो है जै अगर यो कोई माणस क शरीर पर फिरज्या जो पुरे शरीर पर खुजली चाल ज्या और फदेड़ा सा फदेड़ा( एलर्जी)सा हो जावे है ,इंजीव नै पैदा करण हाळो एक कीट (कातर हाळी फूदी) बताई जा वे है जो जांटियां के उपर अण्डा दैवे है और अण्डा भी एक कीट (फूदी) हजारा की संख्या में देवे है। जीं सू यो जीव पैदा हावे हैं यो जीव शरीर पर घुमते टाईम अपणे मुण्डे से एक अलग तरीक को लार (पदार्थ) शरीर पर छोड़ दे है जिसूं पुरे शरीर पर खुजली चाल जवे हैं और बिको इलाज प्राथमिक उपचार तो तुरंत ठण्डे पानी से नहाणे और सरसूं को तेल लगाणें सूं क्यू राहत मिलै है। और बाद में डाक्टरी सलाह और दुआई ,
यो छोटो सो जीव कैया अपणे मुण्डे सं इतनी बड़ी जांटी की लूंग नं ख जावे है यो ताज्जुब की बात हैं
यो पैदा हावै है जो बिल्कुल ही छोटो सो होवै है जो निचे की फोटू में दिखायों हैं औ बाद में इंकी लम्बाई 3 इंच तक की हो ज्या है।
जियां फोटू मं जाट्या दिखरी है हरी भरी लहलाती जाट्या नं यो कैया सुखी बणा दी है लगभग जाट्यां सुख गी,किसान मजदूर की हमदर्द जांटी (खेजड़ी) की या हालत बणा दी है इं कातरं जीव।
जाटीं न किसान की सच्ची दोस्त मानी जावे हैं क्यूंकि जांटी ही किसान नं समय समय पर सहायता देती रवै है जियां लावपणी के टाइंम छाया बाळण ने लकड़ी, पशुआ के चारे खातर लूंग और खेत की माटी के कटाव ने रोके हैं,सांग सब्जी खातर सांगरी और खोखा देवे है। इं प्रकार किसान की भरपूर सहायता करे है या खेजड्री और इं नं यो बैरी खारहयो है। इंको कोई दवा या इंलाज भी कौनी बड्रा बुजुर्ग कहवै है कि यो तो तावड़े से ही मरगो नाही कौनी मरे इंकी कोई दवाई भी हाल ताई कौनी बणी।
लट कातरं की खायेड़ी बिचारी जाट्यां, अब कठे सूं आकं सांगरी लागेगी और कठे सूं लूंग होगी।
खाट री दावणा माई घुसी हुई लटें |
हाथ पर घुमती छोटी लट |
सं सूं छोटी लट |
ओर के करा पण ये कोनी डटे रातुं फिरबो करें सोवणें भी दुभर होग्यो
सं सूं बड़ी लट |
या ही म्हारें गावं री आप बिती परेशानी अब भगवान ही जाणे इ सूं कद पिछो छुटसी बड़ा बुढ़ा एक बाद जरूर कह रिया है कि अबकी बार इं लटा ने देखता जमानों होणे का कम ही आसार हैं या कहावत पुराणी प्रचलित है कि जीकं साळ लट कातरों ज्यादा होवे उं साळ जमानों कौनी होवे। अब भगवान ही मालीक है।
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हवन जग करवाओ।
ReplyDeleteआगे भगवान ही ईं सुगली जूण सुं छुटकारो दिवावैगो।
देख कै मेरा तो रुंग खड़ा होग्या और माळीगाँव आवण को बिचार भी छोड़ दियो :)
आ पोस्ट तो केवल ललित जी नै डरावण खातिर लगाई है |यो सीन तो कोइ होलीवुड की फिल्म जिसो लागै है |
ReplyDeleteलट तो महालै घरा कै मायं भी हीं इशी तो कोनी
ReplyDeleteलार ला कई सालां सूं हर साल खेत म एक खेजड़ी सूख जावै है जद बिनै काट न जड़ खोदां तो जड़ म ओ ही कीड़ो निकले है | आणा वाला बरसां म ओ जीव खेज्ड़ियाँ नै विलुप्त कर देसी | इण रो जल्द ही इलाज तलासणों पड्सी |
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