लेकिन सबसे ज्यादा भीड़ भाड और आनन्द का माहौल हमारी वाली छत पर ही नजर आ रहा था इसका एक कारण तो ये था कि हमारा साउण्ड सिस्टम बहुत तेज था क्योकि हमने डी. जे. वाले स्पीकर लगा रखे थे और दुसरा ये की वहा पर हमारी मित्र मंडली पुरी इकट्ठा हो रखी थी। तभी वहां कुछ विदेशी सैलानी (अंग्रेज) लोग घुमते हुए आ गये, क्योकि पीराम गेट के पास जहां हमारी पंतग बाजी हो रही थी उसी के पास पीरामल हवेली होटल हैं जो नीमराना होटल की एक शाखा है बगड़ में ये ही एक हेरिटेज होटल हैं जहा अक्सर विदेशी लोग आते रहते हैं आज भी कई विदेशी लोग इस हौटल में ठहरे हुऐ थे जो घुमते हुऐ हमारी गली की तरफ आ गये और उन्होने काफी भिड़ भाड़ व तेज साउण्ड देखकर उपर आकर लुफ्त उठाने का आग्रह किया और वो भी हमारे साथ उपर छत पर आ गये और जमकर पंतग बाजी का लुफ्त उठाने लगे।
पहले तो वे हम लोगों के साथ पंतग उडाते रहे और फिर म्यूजिक पर डांस भी किया वे लोग इस पंतग बाजी से बहुत खुश लग रहे थे उन्ही से मिली जानकारी के अनुसार वे लोग सिंगर (गायकार) थे जो यहां अपने किसी एलबम की साउण्ड रिकोर्डिग के सिलसिले में इस होटल में ठहरे हुए थे। उनके साथ बैंगलोर के कई हिन्दुस्तानी लड़के भी थे जो उनके साथ म्यूजिसियन (वाद्य यंत्र बजाने) का कार्य करने के लिए साथ आये थे और बतोर गाईड का कार्य भी कर रहे थे।







वाह भाई, कमाल कर दियो। घणी पतंगबाजी कर ली।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ..हमें भी मजा आ गया ...
ReplyDeleteसक्रांति की हार्दिक शुभकामनायें!