सभी देश वासिओ मित्रो को नवरात्री पर्व की हार्दिक शुभ कामनाए
हर वर्ष की भाति इस वर्ष भी बगड़ में 3 जगह माँ दुर्गा जी की मूर्ति सजी एक फ़तेह सागर तालाब पर दूसरी दुर्गा मंदिर तीसरी खटिक मोहले में तीनो जगह बड़ी धूम धाम से सथापना की गई
सुबह कलस यात्रा के बाद घट सथापना की गई और साम को महा आरती हुई जिसमे हजारो की संख्या में भाग लिया
अब मै आपको माँ दुर्गा के नो रूपों के बारे में बताता हु
जिनके अलग -अलग नौ नाम है।
मेरे साथ आप भी करिये जगत पालक ,संहारक मां के नो रूपों के दर्शन
1 शैलपुत्री - जो हिमालय की तपस्या और प्रार्थना से प्रसन्न हो कृपापूर्वक उनकी पुत्री के रूप में प्रकट हुई,
हर वर्ष की भाति इस वर्ष भी बगड़ में 3 जगह माँ दुर्गा जी की मूर्ति सजी एक फ़तेह सागर तालाब पर दूसरी दुर्गा मंदिर तीसरी खटिक मोहले में तीनो जगह बड़ी धूम धाम से सथापना की गई
सुबह कलस यात्रा के बाद घट सथापना की गई और साम को महा आरती हुई जिसमे हजारो की संख्या में भाग लिया
अब मै आपको माँ दुर्गा के नो रूपों के बारे में बताता हु
जिनके अलग -अलग नौ नाम है।
मेरे साथ आप भी करिये जगत पालक ,संहारक मां के नो रूपों के दर्शन
1 शैलपुत्री - जो हिमालय की तपस्या और प्रार्थना से प्रसन्न हो कृपापूर्वक उनकी पुत्री के रूप में प्रकट हुई,
2 ब्रह्मचारिणी - सच्चिदानन्दमय ब्रह्मस्वरूप की प्राप्ति कराना जिनका स्वभाव हो, वे ब्रह्मचारिणी कहलाई
3 चंद्रघंटा - आल्हाद्कारी चन्द्रमा जिनकी घंटा में स्थित हो, उन देवी का नाम चंद्रघंटा है.
4 कूष्मांडा - त्रिविध तापयुक्त संसार जिनके उदार में स्थित हैं, वे भगवती कूष्मांडा कहलाई.
5 स्कंदमाता - भगवती शक्ति से उत्पन्न हुए सनत्कुमार का नाम स्कन्द है, उनकी माता होने से वे स्कंदमाता कहलाई.
6 कात्यायनी -देवताओं के कार्यसिद्धि हेतु महर्षि कात्यायन के आश्रम में प्रकट हुई, जिससे उनके द्वारा अपने पुत्री मानने से कात्यायनी नाम से प्रसिद्द हुई.
7 कालरात्रि - काल की भी रात्रि (विनाशिका) दुष्ट संहारक होने से उनका नाम कालरात्रि पड़ा ।
8 महागौरी - तपस्या के द्वारा महँ गौरवर्ण प्राप्त करने से महागौरी कहलाई।
9 सिद्धिदात्री - सिद्धि अर्थात सर्व सिद्ध कारिणी मोक्ष दायिनी होने से सिद्धिदात्री कहलाती है।
अनेक प्रकार के आभूषणों और रत्नों तथा अस्त्र शस्त्रों से सुशोभित ये देवियाँ क्रोध से भरी हुई और और मन मोहक दिखाई देती हैं. ये शक्ति, त्रिशूल हल, मुसल, खेटक, तोमर,शंख, चक्र, गदा, परशु, पाश, कुंत, एवं उत्तम शांर्गधनुष आदि अस्त्र-शस्त्र अपने हाथों में धारण किए रहती हैं, जिसका उद्देश्य दुष्टों का नाश कर अपने भक्तों को अभयदान देते हुए उनकी रक्षा कर संसार में शांति व्याप्त करना और मन वांच्छित वर, मुराद पुरी करना और अन्न धन के भण्डार भरती है।
फिर मिलते है नई रिपोर्ट के साथ
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