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Saturday, December 31, 2016

31 दिसम्बर लाईन का खात्मा सबके जहन में घुमती रही मोदी की आत्मा

साल की शुरूआत तो कुछ हद तक सही हुई पर बीच में क्या क्या हुआ उसकी मेरी नजर में  थोड़ी- थोड़ी समीक्षा कर रहा हूं  कहीं तेज गति से चलती रेल पट्टरी से उतरी कभी उरी हमला हुआ फिर  सर्जिकल स्ट्राईक हुई कही आंतकवादी मारे गये कही उनके मनसुबे नाकामयाब हुऐ किसी की मांग का सिंदूर उजड़ा किसी की गोद सुनी हुई किसी का बेटा शहीद हुआ तो किसी का भाई वीर गति को प्राप्त हुआ  झेलना पड़ा बेचारे भारत माता के जवानों को जो हमेशा से झेलते आ रहें है। इन राजनैताओं का क्या बीगड़ा वो ता फिर भी इनकी शहादत पर अपनी राजनिति की रोटिया सेकने लगें जैसे तैसे समय बीतता गया और काल चक्र चलता गया और फिर  हुआ इस साल का सबसे बड़ दुःख दायी ऐलान 8 नवम्बर की वो रात सबको याद है उसे कोई नहीं भूल सकता   नवम्बर का तो देव उठने की तैयारी के साथ शादी ब्याह सावे आदि की धूम मचने लगी  पर इसी बीच मोदी बाबा ने कर दी सबको चैकाने वाली घोषणा और सबको लगा दिया नये धन्धे (लाईनों में) ये 50-52 दिन कैसे गुजरे ये या तो वो लोग बता सकते है जो लाईनों में खडै रहे या वो जो पैसे के लिए तरस गये या वो जिनके घर कोई शादी ब्याह जैसेा प्रोग्राम था वो ही बात है जाके पैर न फटे बिवाई वो क्या जाने पीर (पीड़ा) पराई । नवम्बर से लेकर दिसम्बर तक के दिन यू ही 500 और  1000 की कस्मकश में बीत गये।  न किसी का धंधे सही तरीके से चले न कोई और काम लागों के चेजे भाठे का काम भी बन्द प्राय ही पड़ गया । 
और आज साल का आखरी दिन भी कैसा गुजरेगा लोग ये भी मोदी पर ही निर्भर करते है। लोग 31 दिसम्बर की पार्टी को भूल कर आज 7 बजे उनकी अगली घोषणा पर को सूनने के लिए ही  टीवी के आगे चिपके रहें गें क्या पता क्या नई घोषणा कर दे कहि फिर से लाईन में ...... नही.....  नहीं...... सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाते है। 
इसलिए पार्टी की तरफ से ध्यान हटकर आज भी उनकी तरफ ही ध्यान है  इसे उनका डर कहें या उनके प्रशंसक कहे ये तो आप ही अंदाज लगा सकते है। इसे जन तंत्र कहे या तानाशाह राजतंत्र  ये फैसला भी मैं आप पर ही छोडता हूं और रही सही  कसर आखिर में यूपी में पूरी हो गई बेटा बाप का बागी बन बैठा  और बात ने बेटे को पार्टी से ही निकाल दिया एक मुख्यमंत्री को पार्टी से उसका ही बाप निष्कासित कर रहा हैं वाह रे राजनिति तुझे सलाम हैं ऐसे देश में क्या अच्छे दिन आ सकते है। मुझे तो नही लगता   और आपको ? ऐसे तो इतिहास में  पढ़ा और सुना था कि भाई भाई का दुश्मन बन बैठा और बेटा बाप का बागी हो गया और भाई ने भाई का कत्ल कर दिया वो भी कुर्सी के लिए पर वो बात समझ में आती  है कि वो जा राजतंत्र था तानाशाह शासन था पर आज  तो कहा जाने वाला जनतंत्र है आज भी ये सब क्यो ?  जनतंत्र में तो सारा खेल जनता के हाथ में है किर भी  ये लड़ाई क्यो  मतलब साफ है आज भी जनतंत्र सिर्फ कहने मात्र के लिए है जनता पंगू बनी हुई हैं और डोर आज भी बप बेटो की मुट्ठी मे है। या फिर मोदी जी की घोषणा में
किसका काला धन सफैद हुआ, कितना काला धन आया, कितना नष्ट हुआ किनके पास आज भी नये नोट जमा है और कौन आज भी दर दर की ठोकरे खाने के लिए बेबस है। कीसकी सफाई से ये काला धन सफेद हुआ कौन कौन से बैंको के कर्मचारीयों द्वारा ये नया धन किन किन को जमा करवाया गया  क्या ये कर्मचारी भारत सरकार के अधीन नहीं आते ?  तो फिर क्या कार्यवाही हुई उनके खिलाफ ...??  इन सब पर  कितनी भी चर्चा की जा सकती है पर आज साल का आखिरी दिन है सो ज्यादा न लिखते हुए आप पर ही छोडता हूं
आप सब बुद्धिजीवी है आप सब जानते हैं मैने तो साल भर की समिक्षा की बाकि आप सब जानते है क्या सही क्या गलत है ?
आज के लिए इतना ही मिलते है नई साल में इसलिए नई साल की अग्रीम शुभकामनाएं राम राम

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राजस्थान का गौरव कल्प वृक्ष कहा जाने वाला वृक्ष खेजड़ी (जांटी) है खतरे में ??

 कुछ दोस्त बहुत याद आते है..

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लक्ष्य

Thursday, December 22, 2016

राजस्थान का गौरव कल्प वृक्ष कहा जाने वाला वृक्ष खेजड़ी (जांटी) है खतरे में ??

 राजस्थान के राज्य वृक्ष  खेजड़ी (जांटी) शब्द और इस पेड़ से राजस्थान में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो  अपरिचित होगा ये हमारा सोभाग्य है कि ये वृक्ष मुख्यरूप से हमारी शेखावाटी क्षेत्र में अधिक मात्रा में पाया जाता है। 
इसे थार का कल्प वृक्ष या राजस्थान का कल्प  वृक्ष भी कहा जाता है। ये राजस्थान का गौरव जहां तक मेरा जानना है  सभी लोग इसके बारे में जानते है  ये  ऐसा वृक्ष है जिसे किसान का मित्र भी कहा जाता है। और इसे राजस्थान का कल्प वृक्ष भी कहते है। इससे हमें जलाने के लिए लकड़ीया मिलती है  तथा पशुओ के चारे के लिए लूंग मिलती है। मिट्टी का कटाव रोकता है। व मुख्या काम थके हारे किसान को ये बैठने के लिए ठंण्डी छाव देता है।इसका  वैज्ञानिक नाम "प्रोसेसिप-सिनेरेरिया" है। इसको 1983 में राज्य वृक्ष घोषित किया गया।ये पेड़ नागौर जिले में सर्वाधिक है। इस वृक्ष की पुजा विजयाशमी/दशहरे पर की जाती है। खेजड़ी के वृक्ष के निचे गोगाजी व झुंझार बाबा का बालाजी का मंदिर/थान बना होता है। खेजड़ी को पंजाबी व हरियाणावी में जांटी व तमिल भाषा में पेयमेय कन्नड़ भाषा में बन्ना-बन्नी, सिंधी भाषा में - धोकड़ा व बिश्नोई सम्प्रदाय के लोग 'शमी' के नाम से जानते है। स्थानीय भाषा में सीमलो कहते हैं।

खेजडी की हरी फली-सांगरी, सुखी फली- खोखा, व पत्तियों से बना चारा लुंग/लुम कहलाता है।
वैज्ञानिकों ने खेजड़ी के वृक्ष की कुल आयु 5000 वर्ष मानी है। राजस्थान में खेजड़ी के 1000 वर्ष पुराने 2 वृक्ष मिले है।(मांगलियावास गाँव, अजमेर में) ऐसा सुनने में आया है की
पाण्डुओं ने अज्ञातवास के समय अपने अस्त्र-शस्त्र खेजड़ी के वृक्ष पर छिपाये थे।खेजड़ी के लिए राज्य में सर्वप्रथम बलिदान अमृतादेवी के द्वारा सन 1730 में दिया गया। 12 सितम्बर को प्रत्येक वर्ष खेजड़ली दिवस के रूप में मनाया जाता है। प्रथम खेजड़ली दिवस 12 सितम्बर 1978 को मनाया गया था।
आॅपरेशन खेजड़ा की शुरूआत 1991 में हुई।इसका बाहय आवरण इसकी छाल छोड्डे बहुत ही मजबूत होते है जो इसकी जाड़े धूप आदि से रक्षा करते है। जो इसका सुरक्षा वकच है। बाकि आप सब इसके बार में जानते हैं तो इसके बारे में ज्यादा न बताकर मैं अल्प जानकारी देते हुए मैन समस्या पर आता हूं। 
 कमी के कारण सरकार ने इसकी कटाई पर रोक भी लगा  दी है।
इसका एक सबसे बड़ा शत्रु इंसान जो इसे  अपने लोभ वंश काट काट कर बेचता रहा है। पर उस पर तो सरकार ने पांबंदी लगा दी और कुछ मात्रा में इसकी कटाई में कमी भी आयी है। हालांकि लोग अब भी चोरी छीपे इसकी कटाई करते हैं और चोरी छीपे ही बेचते हैं   और आजकल इसका दूसरा और सबसे बड़ा दुश्मन है एक कीड़ा जो खेजड़ी ओ लगता है।इसका नाम सेलेस्ट्रेना(कीड़ा) व ग्लाइकोट्रमा(कवक) है तथा दीमक भी इस पेड़ को काफी नुकसान पहुचती है।
जब मै अपने खेत में बाजरे की फसल की लावणी( कटाई) करने गया तो जब वहा खेत मइ खड़े इन खेजड़ी के पेड़ो को देखा तो दंग रह गया ये क्या इनकी पेड़( तने) पर तो पूरी तरह से दीमक कीड़ा लगा हुआ  है और लगभग वृक्ष सूखने  के कगार  पर  है
ये हालात मेरे  खेत के ही नही  बल्कि आजकल अक्षर हर खेजड़ी  पेड़ पर देखने को मिल रहा है । अगर समय  रहते इसका कोई समुचित उपाय  ही किया गया तो वो दिन दूर नही होगा जब हमारा ये राज्य वृक्ष विलुप्त हो जायेगा। जैसा की फोटो में दिखाई दे रहा है ये दीमक और कीड़ा मेरे ही खेत में खड़ी खेजड़ी को लगा हुवा है और ऐसा ही हाल यहा के इलाके के सभी खेतो की खेजड़ी का है जो इस पेड़ की जड़ से लेकर  तनो तक फैला हुआ है इसकी वजह से इन वृक्षों ने फूटना छोड़ दिया है और सूखने लगे है जो एक चिंता का विषय है।
अब इस दीमक और कीड़े को कैसे रोका जाये ये समझ में ही आ रहा है
और न ही सरकार इस तरफ कोई ध्यान दे रही है
अगर एक मेरे खेत की ये हालत है तो सोचो राजस्थान के इस राज्य वृक्ष की अन्य जगहों पर क्या हालत होगी ये सोच कर मन विचलित हो रहा है कि क्या हमारा गोरव खेजड़ी वृक्ष  लुप्त हो जायेगा?? क्या सरकार की इडको बचाने के लिए कोई ज़िमेदारी नही बनती??
क्या इस दीमक का कोई इलाज नही किया जा सकता??





क्या ये पेड़ यु ही खोखले होते रहेगे और सूखते रहेगे???
क्या अमृता देवी का बलिदान यु ही नष्ट हो जायेगा???




ऐसे कई सवाल मन में आ रहे है। सोचा आपके साथ शेयर करलू आप ही इसका कोई उपाय बता सके और अपने इस गोरव को बचा सके।


वैसे में ये पोस्ट खेजड़ी दिवस 12 सितम्बर  पर ही लिखने वाला था पर समय की व्यस्तता के कारण नही लिख सका फोटो तो काफी समय पहले जब लावणी(बाजरे की फसल कटाई) चल रही तब ही खिच ली थी।

और आपके और सरकार के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा है? 
हमारे इस राज्य वृक्ष को कैसे बचाया जाये इस रोग से??
आप ही कोई समुचित उपाय सुझाये।

अपने राज्य वृक्ष को बचाए कैसे ? इन्सान से बचाया जा सकता है पर प्रकृति की मार से इसे कैसे बचाए??
जरा अपने सुझाव दे


आज के लिए बस इतना ही आगे आपके सुझाव की प्रतीक्षा में....


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Friday, December 2, 2016

सर्दी ने दी दस्तक पहला कोहरा देखने को मिला

सर्दी ने दी दस्तक इस साल का पहला कोहरा छाया 5-7 फिट से आगे का कुछ नही दे रहा है दिखाई।
सबसे अनुरोध है की इस कोहरे व र्दी से छोटे बच्चो बचा कर रखे और साथ साथ अपने स्वास्थय का भी ध्यान रखे।








और इस सीजन के गर्म कपड़े निकाल ले। तथा अलाव जलाने की तयारी कर ले। और अपने अपने वाहनों की रप्तार धीमी रखे व सावधानी पूर्वक गाड़िया चलाये ।  !जन हित में जारी!
शुभ प्रभात
























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