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Tuesday, September 21, 2021

पीपल के पेड़ से पद्मश्री पुरस्कार तक प्रकृति प्रेमी हिमताराम जी भाम्बू, हमारे भाम्बू परिवार व देश के गर्व

 भूमिका

आज मैं आपको एक ऐसी शख्शीयत के बारे में जानकारी दे रहा हूं  जो खुद एक पहचान हैं। जो आज किसी के परिचय के मोहताज नहीं, जिन्हें स्वयं प्रकृति ने परिचय से नवाजा है। उनका मैं क्या परिचय दूं,  वैसे तो हिमताराम जी भाम्बू के बारे में लिखना सूर्य को दीपक दिखाने के समान है बस एक छोटी सी कोशीश कर रहा हूं आपको उनकी जानकारियां उपलब्ध करवाने और लिखने में अगर कोई त्रुटि रह गई हो तो क्षमा करना ।

 

                       पीपल के पेड़ से पद्मश्री तक सफ़रनामा

पीपल का पेड़ जो दादी के साथ लगाया

 
महामहीम राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द जी द्वारा  पदम श्री अर्वाड प्राप्त
बचपन में दादी के साथ  एक पीपल का पेड़ लगाने वाले  हिमताराम  भाम्बू ने अब तक लगभग साढ़े पांच लाख पेड़ पौधे लगाकर एक रिकॉर्ड बनाया है, तथा 2020 में भारत के महामहीम राष्ट्रपति  
श्री रामनाथ कोविंद जी द्वारा पद्मश्री पुरस्कार (अवार्ड) प्राप्त किया है। ये हमारे परिवार गोत्र के लिए तो गौरव की बात है ही साथ ही साथ हमारे पुरे देश के लिए गर्व की बात है

हिमताराम जी भाम्बू का परिचय


नाम  :- हिमताराम भाम्बू

हिमताराम जी भाम्बू

धर्म पत्नी:- रामी देवी झांझू जाट

जन्म :-     दिनांक 14-2-1956 

स्थान :-       गाँव - सुखवासी , जिला - नागौर, राजस्थान

पिता का नाम :-   स्व. श्री चतरा राम जी भाम्बू  

 माता का नाम :-  स्व.  श्रीमति माड़ी देवी 

परिवार:-   

पड़ दादा :-         स्व. श्री  गोमाराम जी

दादा :-                 स्व. श्रीनारायण राम जी भाम्बू

दादी:-                  स्व. श्रीमती नेनी देवी

पुत्र :-                  1 बेटा  लिखमाराम भाम्बू    व्यवसाय:- वकील 

पुत्र वधु :-            मंजू  देवी

पुत्री:-                  1 पुत्री सरिता भाम्बू            IAS की तैयारी

पौत्र:-                  1  चन्द्रभान भाम्बू

पोत्री:-                मिनाक्षी भाम्बू    (जो बी.ए में पढ़ रही है तथा साथ साथ स्टेनों कोर्स सीख रही है।

                          2  दिव्या भाम्बू          IAS की तैयारी कर रही है।

शिक्षा :-              छठी कक्षा तक की  पढ़ाई (गोगेलाव गाँव की स्कूल )

काम:-          बचपन से ही खेती किसानी का काम,करना पड़ता था,जिसके चलते स्कूल छोड़नी पड़ी,स्कूल छोड़ने के बाद गायें  चराने की ज़िम्मेदारी संभालनी पड़ी । 

  • शुरू सें ही मशीनरी में रूची होने के कारण ट्रेक्टर वगेरह के  पार्ट्स के मिस्त्री के रूप में कार्य किया।
  • सन् 1976 में नागौर में रहन-सहन शुरू किया और यहाँ ट्रैक्टर पार्ट्स की दुकान खोली।
  • अपनी व्यवहार कुशलता,कुशल नेतृत्व के जरिये हिमताराम जी ने नागौर जिले के ट्रैक्टर चलाने वाले किसानों सें अच्छे सम्पर्क स्थापित किए।
  • इन्हीं दिनों सें हिमताराम जी ने पौधारोपण और पर्यावरण संरक्षण  की तरफ अपनी रूचि बढ़ाई। 
  •  वर्ष 1986 में  हिमताराम जी भाम्बू  जापान सरकार की सहायता से संचालित योजना के अंतर्गत वनविभाग से जुड़ गए। तब से लेकर अब तक उनका सम्पूर्ण जीवन पर्यावरण व  प्रकृति  को समर्पित  है। तब से लेकर अब तक इन्होने लगभग साढ़े पांच लाख पेड़ पौधे लगाकर एक रिकॉर्ड बनाया है, जिनमें से आज साढे तीन लाख पेड़ बन चुके हैं।

  • हिमताराम जी ने 1975 में 19 साल की उम्र में अपनी दादी के कहने पर अपने पैतृक गांव सुखवासी में दादी के साथ पीपल का पौधा लगाकर उसकी नियमित देखभाल की तो इनके मन में पर्यावरण संरक्षण और जीव रक्षा का बीज अंकुरित हुआ. उनके हाथ से लगा पीपल का पौधा आज विशाल पेड़ बन चुका है,जिसके नीचे आज 500 से ज्यादा लोग बैठ सकते  हैं। इसके साथ ही इनके मन में फूटा पर्यावरण संरक्षण का बीज भी आज विशाल वट वृक्ष बन चुका है
  • 25 बीघा लेकर  11 हजार पौधे लगाकर उसे जंगल का रूप दिया

    हिमताराम 
    जी
     ने नागौर के निकट हरिमा गांव के पास अपनी खुद की जमीन  25 बीघा लेकर उस पर  11 हजार पेड़- पौधे लगाकर उसे जंगल का रूप दिया है। ताकि लोगों को पर्यावरण का महत्व बता सकें। जहां आज हजारों पक्षियों का बसेरा है. इसे पर्यावरण प्रशिक्षण केंद्र नाम दिया गया है,  इन्होंने यहां पर्यावरण प्रदर्शनी भी बना रखी है। 
  • पौधे लगाने और उनकी देखभाल का काम वे अपना पैसा लगाकर करते हैं किसी की मदद नही लेते।

    • पुरस्कार /सम्मान

      उपलब्धियां :-

    • हिमताराम जी भाम्बू  को पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्द्धन के संबंध एवं सराहनीय कार्यों के लिए समय-समय पर विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मान प्रदान किए गए हैं :-
    • 1993 . वनविस्तारक पुरस्कार ए नागौर वनविभाग की द्वारा

    • 1997 . राष्ट्रीय पर्व पर नागौर जिला कलक्टर द्वारा सम्मान

    • 1997 . केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री एवं पिपल फॉर एनिमल्स' की राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती मेनका गांधी द्वारा सम्मान

    • 1998 . वनविभाग द्वारा जिलास्तर पर वृक्ष वर्द्धक पुरस्कार

    • 1999 . मुख्य वनसंरक्षक जोधपुर द्वारा संभाग स्तर पर सम्मान

    • 1999 . राज्यस्तरीय प्रश्नोतारी परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर सीकर में वनमंत्री द्वारा सम्मान
    • 1999 . सेठ वल्लभ रामदेव पित्ती द्वारा पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार

    • 1999 . महामहिम राज्यपाल अंशुमान सिंह द्वारा राज्यस्तर पर सर्वाेत्तम वन प्रहरी पुरस्कार

    • 2001 वन्यजीव प्रतिपालकों की तीन दिवसीय बैठक में सहभागिता पर वनमंत्री द्वारा प्रमाण-पत्र

    • 2001  पूर्व मुख्य सचिव एम एल मेहता द्वारा के कर कमलों  सें  यूनेस्को फेडरेशन राजस्थान द्वारा 'पर्यावरण रत्न पुरस्कार' , 

    • 2002  अखिल भारतीय विश्नोई महासभा " मुकाम" बीकानेर द्वारा सम्मान

    • 2003  वनमंत्री लक्ष्मी नारायण दवे द्वारा राज्यस्तरीय अमृतदेवी विश्नोई पुरस्कार

    • 2005 शुष्क वन अनुसंधान जोधपुर द्वारा पुरस्कार

    • 2005  र्णधार सम्मान राजस्थान पत्रिका द्वारा 

    • 2007  ग्रीन ओलम्पियाड अवार्ड नई दिल्ली में

    • 2007 पशुपालन विभाग की ओर से सम्मान

    • 2010 मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कर कमलों  सें  'हलधर रत्न'  हलधर टाइम्स द्वारा  ल्याण सहाय शर्मा स्मृति श्रेष्ठ कृषक पुरस्कार 
    • 2011 'प्रथम कृषि वानिकी सम्मान' जस्टिस एच आर पँवार द्वारा मारवाड़ मुस्लिम एजूकेशनल एंड वेल्फेयर सोसायटी एवं सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन यूनानी मेडिसिन नई दिल्ली द्वारा प्रगतिशील किसान सम्मान समारोह में  

    • 2011 कृषि मंत्री हरजी राम बुरड़क द्वारा  कृषि विभाग राजस्थान द्वारा अग्रणी नवाचारी किसानों के सम्मान समारोह में  सम्मान

    • 2012  " ग्रीन आइडल अवार्ड"दैनिक भास्कर जयपुर द्वारा 

    • 2013 " पर्यावरण संवर्द्धन पुरस्कार "पत्रिका ग्रुप के प्रधान गुलाब कोठारी द्वारा 

    • 2013    'वृक्षबंधु पुरस्कार'आध्यात्मिक क्षेत्र पर्यावरण संस्थान जोधपुर द्वारा 

    • 2015 राजीव गांधी पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार 2014 के अंतर्गत  मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और वनमंत्री राजकुमार रिनवा द्वारा व्यक्ति संवर्ग में 2 लाख रुपये रजत कमल ट्राफी एवं प्रमाण पत्र 

    • 2015  राजस्थान दिवस समारोह के अवसर पर संभागीय आयुक्त डॉ धर्मेन्द्र भटनागर द्वाराअजमेर संभाग स्तरीय सम्मान 
    • 2016 जोधपुर महाराजा गंज सिंह जी तथा केन्दीय कनून मंत्री  श्री वी पी चौधरी द्वारा  वीर दुर्गादास राठौड अवार्ड 
    •  2019 सतं ईश्वर सेवा सम्मान गोपाल कृष्ण जी ने दिया है जो मुख्य कार्यवाहक आर एस एस संघ के ।
    • 2019 . जायल विधायक मंजू देवी मेघवाल के जन्मदिन पर धन्ना भगत सम्मान पुरस्कार स्वरूप 5000 Rs. मानपत्र वह प्रशंसा पत्र दिया गया
    • वायु  सेना  द्वारा द्वारा फलोदी में सम्मान दिया गया 
    • मरू रतन अवार्ड इलाबाद हाईकोट के पूर्व मुख्य न्यायधीश गोपाल कृष्ण जी द्वारा  प्रदान किया गया
    • सरदार पटेल पुलिस यूनिवर्सिटी द्वारा स्मामान पुरस्कार मिला  वक्षा रोपण के क्षेत्र में 

    • जी टीवी राजस्थान  द्वारा  पुरस्कार श्री सी आर चौधरी  एवं  श्री महेन्द्र चौधरी के कर कमलों द्वारा 
    • महावीर इंटरनेशन संस्थान द्वारा अर्न्तराष्ट्रीय वीर  पुरस्कार श्री विजय सिंह जी भापना द्वारा  पुरस्कार इस संस्था से हिमताराम जी  2012 से जुडे हुए है। 

    • टाइम्स आफ इंडया ने अवार्ड दिया
    • 2020 में भारत के महामहीम राष्ट्रपति  श्री रामनाथ कोविंद जी द्वारा पद्मश्री पुरस्कार (अवार्ड) प्राप्त किया है।
    •  2 फरवरी 2011 आईसीएफआरआई लाईफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया।
    • भारत सरकार की शुष्क अनुसंधान संस्थान आफरीजोधपुर द्वारा पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने पर दो बार प्रशंसा पत्र व स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया गया।
    • कबीर आश्रम बड़ी खाटू द्वारा दो बार पर्यावरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने पर प्रशंसा पत्र व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
    • पीपल फॉर एनिमल की ओर से पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने पर तत्कालीन वन एवं पर्यावरण मंत्री जसवंत सिंह बिश्नोई द्वारा भीलवाड़ा में पुरस्कार दिया गया।
    • पुरस्कारों की लाइन में 100 से ज्यादा प्रशंसा पत्र व स्मृति चिन्ह विभिन्न जिलों की स्वयंसेवी संस्थानों द्वारा पर्यावरण संरक्षण। वन्य जीव संरक्षणए नशा मुक्ति। वृक्षारोपण आदि कार्यों के लिए उल्लेखनीय योगदान देने पर सम्मानित किया गया।
    • जिला प्रशासन वन विभाग। पशुपालन विभाग और अनेक स्वयं सेवी संस्थाओं से प्रशंसापत्र प्राप्त हो चुके हैं।

    महामहीम राष्ट्रपति  श्री रामनाथ कोविंद जी द्वारा पदम श्री पुरस्कार (अवार्ड) प्राप्त किया है।


     हिमताराम जी भाम्बू को ये पद्मश्री  पुरस्कार  पर्यावरण संरक्षण के लिए किए जा रहे अद्भुत अद्वतीय ,अमूल्य कार्यों के लिए दिया गया है। 



     महामही मराष्ट्रपति  श्री रामनाथ कोविंद जी सें पर्यावरण पर चर्चा




    गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर इस साल के पद्मश्री पुरस्कारों की घोषणा कर दी गई थी इसके तहत नागौर के रहने वाले पर्यावरण प्रेमी हिमताराम भाम्बू को पद्मश्री से नवाज़ा जाएगा पर्यावरण प्रेमी हिम्मताराम भांभू ने 3 जनवरी 2020 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी से मुलाकात की थी

    महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा गणतन्त्र दिवस 26 जनवरी 2020 पर पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।


    45 मिनट तक सम्बोधित किया 

    पर्यावरण प्रेमी  व पदमश्री हिमताराम भाम्बू द्वारा ऑनलाईन  पर्यावरण संरक्षण, वृक्षारोपण तथा वन्य जीव संरक्षण विषयों पर पुरे देश भर के सांसदों को 45 मिनट तक संबोधित किया गया। ये अपने आप में एक बहुत बड़ी गर्व  की बात है 5 वीं पास आदमी ने सम्बोधन दिया वो भी इलेक्ट्रोनिक मिडिया द्वारा देश के सांसदो को ।

    हिमताराम जी को अब तक विभिन्न विभागों द्वारा  500 से ज्यादा पुरस्कार/अवार्ड मिल  चुके है

    अलग अलग विभाग के उच्चतम पदाधिकारियों अलग अलग राज्यों के मुख्यमंत्रियों, मंत्रियो, देश के सांसदों, सेना पदाधिकारियों द्वारा विभिन्न प्रकार के पुरस्कार, मेडल, अवार्ड पर्यावरण संरक्षण वृक्षारोपण तथा वन्य जीव संरक्षण विषयों के लिए किये गये उत्कृष्ठ कार्यो के लिए समय समय पर  मिल चुके हैं। 

    हिमताराम जी के पास 1985 से लेकर अब तक  15000 से ज्यादा अखबारों की कटिंग उपलब्ध हैं अलग अलग प्रोग्राम्स की 25 हजार से ज्यादा फोटो उपलब्ध हैं। फोटो यहां क्लक करके देखे जा सकतें हैं।


    जीवन के अन्य कार्य:-

    श्री हिमताराम जी के द्वारा ग्राम मांझवास में संत सिरोमणी भक्त फूलाबाई की जीवित समाधि पर संवत 2040 में मंदिर बनाया  गया वहां पर हर वर्ष उनकी पुण्यतिथि मनाई जाती है तथा वहां पर बहुत बड़ा मेला भरता  है।



    इन्होंने नशामुक्ति और अन्य समाज सेवा के कार्यो में भी अपना योगदान दिया है। नशा.मुक्ति के लिए लोगों  में चेतना जागृत कर 3000 के लगभग  लोगों  का नशा छुड़वाया।

    श्री हिमताराम जी के द्वारा सरकारी स्कूलों में जाकर 2000 सें 2018 तक  पेड़ पौधे लगाने पर्यावरण संरक्षण के संदेशों के साथ-साथ दीपावली के मौके पर पटाखा प्रदूषण रोकने के लिए क़रीब 2.66 लाख स्कूली बच्चों को पटाखा न जलाकर घी के दिये जलाने की प्रतिज्ञा दिलवाई जा चुकी  हैं।

    • नागौर जिले में नशा मुक्ति आंदोलन के अंतर्गत धार्मिक सम्मेलन आयोजित कराये और 3000 नशेड़ियों को नशा छुड़ाया गया।

    • राजस्थान के  ,अजमेर, जयपुर जौधपुर,बाड़मेर, जैसलमेर,सीकर, बीकानेर आदि जिलों में कई लाखों पेड़ बांटकर अब तक लगवा चुके है और समय समय पर उनकी सर संभाल करवाते  हैं और  जानकारी भी लेते रहते है।
    • राज्य स्तर पर 118 विशाल पर्यावरण चेतना सम्मेलन आयोजित करवाए गए, जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर सीकर बीकानेर आदि जगहों पर पर्यावरण शिविरों में भाग लिया व पर्यावरण को बचाने के लिए राजस्थान भर में पैदल यात्रा में भाग लेकर आमजन में जागृति पैदा की
    • पर्यावरण संरक्षण (पर्यावरण बचाने) के लिए 1472 किलोमीटर पैदल यात्रा  रामदेवरा से नाखोदा नाखोदा से जैसलमेर,परशुराम महादेव से सूंडा माता जालौर,सीकर हर्ष पर्वत से सालासर,WWE बीकानेर से संगरिया नागौर ,नागौर से रामदेवरा आदि जगहों पर पर्यावरण को बचाने के लिए हिमताराम जी पैदल यात्रा कर चुके हैं।
    • जुलाई 2015 में महावीर इंटरनेशनल संस्था का सहयोग लेकर संपूर्ण नागौर जिले के तहसील स्तर पर उपचारित राज्य वृक्ष खेजड़ी के 2.5 लाख बीज किसानों व ग्रामीणों को निशुल्क वितरण करवाए गए जिनका मूल्यांकन करने पर 82366 खेजड़ी के पौधे पेड़ बनने की राह पर हैं।
    • वर्ष 2000 से 2016 तक राज्य सरकार द्वारा आपको जिला नागौर के लिए मानद वन्यजीव प्रतिपालक की नियुक्ति दी गई। इस अवधि में सैकड़ों जगह वन्यजीवों के शिकारियों को पुलिस व वन विभाग का सहयोग लेकर शिकारियों को पकड़वाया व उन्हें कानूनी दंड सजा(जेल) दिलाया गया।
    •  राजस्थान में  नागौर,जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमर, अजमेर, सीकरआदि जिलों में भी पर्यावरण  संरक्षण सभाएं तथा पर्यावरण जागरूकता जल संवर्द्धन सभाएं कर चुके हैं।
    • खेजड़ी बचाओ अभियान के दौरान हिमताराम जी ने खेजड़ी (जांटी) को रेगिस्थान की जीवनरेखा माना है और इसे किसान की जीवन जननी कहा  है। हिमताराम जी का खेजड़ी को विलुप्त होने से बचाने का प्रयास अद्वित्य, अनमोल है। 

    • पर्यावरण संरक्षण के प्रचार.प्रसार कार्य के अंतर्गत 7 फोल्डर, 5 पुस्तकें, अनेकों कविताएं आदि का प्रकाशन करवा कर निशुल्क जन-जन में जागृति उत्पन्न करने के लिए वितरण करवाए गए।
    • नागौर से 12 किलोमीटर दूर स्थित पर्यावरण प्रशिक्षण केंद्र में हजारों पक्षियों जिनमें 300 से ज्यादा राष्ट्रीय पक्षी मोरों को हर रोज 20 किलो चुग्गा डाला जाता है और 300 से ज्यादा पानी के परिंडे लगाकर इन पक्षियों के पीने के लिए भरे जाते हैं जो कि वन्यजीव और पक्षियों के प्रेमियों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
    •  घायल वन्यजीवों को बचाने के प्रयासों के अंतर्गत 2270 के लगभग घायल चिंकारा, हिरण, कृष्ण मृग आदि वन्य जीवों को इलाज करवा कर स्वछंद विचरण करने के लिए  जंगल मे छोड़ा गया।
    •  2800 के लगभग घायल राष्ट्रीय पक्षी मोर का इलाज करवा कर जंगल में छोड़ा गया।
    •  पशु क्रूरता के प्रकरणों में 8 मुकदमे दर्ज करवाकर पशुओं को छुड़ाया गया व अपराधियों को पुलिस के हवाले कर कानूनी सजा दिलाई गई।


    • नागौर जिले में निजी भूमि 6 हेक्टर क्षेत्र में 1999 से लेकर 2017 तक 11000 पौधे लगाकर पर्यावरण प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया है जो भारत सरकार के नेशनल चैनल दूरदर्शन केंद्र पर संपूर्ण विवरण 2015 में आधा घंटा तक प्रसारण हुआ है व राज्य स्तर पर राजस्थान दूरदर्शन पर तीन बार कार्यक्रम का प्रसारण हो चुका है।







    हिमताराम जी पर लिखी गई पुस्तके:-
    हिमताराम जी के जीवन पर किताब भी प्रकाशित हो चुकी है।

    1. हिम्मत के धनी  हिम्मताराम 
    जिसके लेखक श्री मोईनूद्दीन चिश्ती है। 
    श्री हिमताराम भाम्बू के जीवन आदर्शों एवं उनके अमूल्य कार्यों को संकलित कर लेखक श्री चिश्ती जी द्वारा एक अनुपम उदाहरण पेश किया हैं मैं चिश्ती साहब  को कोटी कोटी धन्यवाद ज्ञापित करता हूं जिन्होने हमारे गोत्र, परिवार और देश के गौरव पर अपनी लेखनी चलाई । श्री चिश्ती जी द्वारा अपनी पैनी दृष्टि से हिमताराम जी के हर पल को उजागर करने का सफल एवं सटीक प्रयास सचित्र सजीव चित्रण किया गया है।


    25 सें ज्यादा मेग्जीनों  पत्रिकाओं में लेख 
    हिमताराम जी के उपर विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में लेख छपे है।
    1. इंडिया टूडे
    2. शरद कृषि 
    3. अमर उजाला
    4. फार्म एण्ड फ़ूड
    5. हलधर टाइम्स
    6. कृषि गोल्ड लाईन
    7. सेवा सौरभ
    8. जाट परिवेश
    9. सीमावर्ती
    10. गुड-फ्राइडे
    11. द बेटर इंडिया 
    12. जागती जोत
    13. सूचना व जनसंपर्क निदेशालय की सुजस
    14. वन विभाग की वानिकी पुस्तक
    15. मोतीड़ा री लुंब
    16. फूलां जीवनी 
    आदि  मैगजीन्स में लेख प्रकाशित हुए हैं।

    हिमताराम जी  खुद की पुस्तक जो इनके द्वारा लिखी गई है।

    1.  फुलां बाई  री जीवनी
    2. मोतीड़ा री लुंब
    3. प्रर्यावरण चेतना आन्दोलन 
    ( इन पर भी अलग से पोस्ट जल्द ही उपलब्ध करवाउगा।)

    हिमताराम जी स्वयं द्वारा पर्यावरण पर लिखे व गाये गये गाने
    1. ए भाया पेड़ा न मत काटो रे  जो काई काटे पेड़ उसे सब मिलकर डांटो रे 
    2. भाया प्रदुषण न रोको रे,सारा मिलकर पेड लगाओ यो ही मोको रे ।
    3. धोरा धोरा धोरिया में सोने जेड़ी रेत अठे पेड़ लगावा, घणा सुख पावा घणो हुवेला मेह ,आवो र भाई करां रूख सं नेह 
    4. पेड़ ह धरी री छतरी पेड़ की महिमा सावरें जितरी पेड़ ह धरती रो सुहाग पेड़ र लगाईयो मत दाग।
    (जल्द ही इन गानों के ऑडियो  हिमताराम जी की मुधुर आवाज  में आपके सामने शेयर करूंगा।)

                  उनके द्वारा बसाये जंगल में कई प्रकार के जीव जन्तु अपना जीवन यापन कर रहें है जैसे मौर ,कोए, कबुतर,फाक्ता, हिरण, चिड़िया ,तौते ,तीतर,बटेर सांप,नेवला,बिच्छु और भी अनेकों प्रजातियों के जीव जन्तु विचरण करते हैं। जिनके  पानी की व्यवस्था के लिए श्री भाम्बू ने लगभग 300 के लगभग पानी के परिंडे लगा रखें है और अपने खेतो में होने वाले अनाज को हिमताराम जी भाम्बूं इन्हीं पक्षियों को दाने (चुगे) के लिए डालते रहते हैं यह उनकी दरियादिली और महानता का प्रतीक नहीं तो और क्या है?

    हिमताराम जी बाग में 300 से ज्यादा मोर हैं जिन्हे  वे अपने  हाथों से चुगा  (दाना) डालते




    यहां तक की जीव जन्तु उनके हाथ से चुग्गा पानी करते है। जीव मात्र की सेवा के लिए हिमताराम जी ने वन्य जीवों के शिकारियों के खिलाफ संघर्ष करते हुए 28 मुकदमे दर्ज करवाए जिनमें से 16 मुकदमों में शिकारियों को सलाखों के पीछे जाना पड़ा  ये मुकदमे इन्होंने अपने खर्चे से लड़े।इसमें सरकार का कोई सहयोग नहीं लिया गया।


    दादी के साथ लगाये गये पीपल के पेड़ की हर वर्ष वर्षगांठ मनाते है।
    समय समय पर इनके पर्यावरण संरक्षण सम्बन्धी चर्चे टीवी रेडियो, न्यूज पेपर, व अन्य मिडिया पर चलते रहते है। और टीवी  रेडियो के माध्यम से भी वे समय समय पर लोगों को पर्यावरण संरक्षण पर अपना उद्धबोधन संदेश देते रहते है। जल सरंक्षण के लिए भी इन्होंने बहुत कार्य किये है।
    हिमताराम जी भाम्बू के जीवन की अन्य उपलब्धिया :-
    • आपके द्वारा 4328 स्थानों पर वन महोत्सव के कार्यक्रम आयोजित करवाये गए जिसमें जन-जन में पर्यावरण के प्रति जागृति पैदा कर लोगों को निशुल्क पौधे वितरण किए गए।
    •  नागौर जिले में आमजन के सहयोग से 5792 पर्यावरण संगोष्ठियों के आयोजन करवाये गए तथा अपने खर्चे पर पर्यावरण व वन्य जीव संरक्षण के लिए जन-जन में जागृति पैदा की।







    सभी प्रकार के न्यूज पेपर्स को धन्यवाद ज्ञापित करता हूं। जिन्होंने अपना अमूल्य समय निकाल कर समय समय पर हिमताराम जी के क्रियाकलापों का अपने पेपर के प्लेट फार्म पर जगह देकर सुकृत्य किया है। उसके लिए उन सभी का आभार। 






    • देश की सीमा पर जाकर जैसलमेर में सैनिकों के साथ 10000 पौधे लगाए गए जो आज पेड़ बन गए हैं।

    वर्ल्ड रिकार्ड बनाया

     जयपुर के कालवाड में मण्डा
    भोपावास में आज महावीर इन्टरनेशनल पिकसिटी
    जयपुर और ग्राम पंचायत मण्डा भोपावास के
    तत्वाधान में महिलाओं के द्वारा 500 वटवृक्ष के साथ
    2000 अन्य पौधों का पौधारोपण कार्यक्रम का
    आयोजन किया गया।

    इस दौरान समारोह में महिलाओं द्वारा 500
    बरगद के पौधे लगाकर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड
    रिकार्ड बनाया गया पद्मश्री सम्मान से सम्मानित
    हिमताराम जी  ने बताया कि एक वटवृक्ष
    की उम्र 700 वर्ष से भी अधिक होती है। इस दौरान
    महावीर इन्टरनेशनल पिकसिटी द्वारा किये गये इस
    कार्यक्रम में मण्डा भोपावास ग्राम पंचायत ने पौधों
    को देख करने का संकल्प लिया। इस मौके
    पद्मश्री हिम्मताराम भांभू नागौर, वीर शांति कुमार जैन
    अन्तराष्ट्रीय अध्यक्ष महावीर इन्टरनेशनल, विमल
    रोका गवर्निंग कौंसिल मेम्बर, महावीर इन्टरनेशनल
    पिकंसिटी जयपुर अध्यक्ष वीर राजीव अग्रवाल,
    सचिव वीर विमल जैन, प्रोजेक्ट डायरेक्टर बोर
    मनदीप सिंह, ट्रस्ट अध्यक्ष वीर दिनेश मोहणोत,
    सरपंच महेन्द्र यादव, वीर पुष्प जैन, वीर धन कुमार
    कोठारी, वीर अशोक अग्रवाल, वीर सुनील
    अग्रवाल, वीर देवेन्द्र लाम्बा, वीरा माया बोथरा, बीरा
    इन्द्रा लोढा, वीरा मैना, शिखा मंगल के साथ
    महावीर इन्टरनेशनल के सदस्यों के साथ कार्यकर्ता
    एवं ग्रामीण उपस्थित रहे।

    हिमताराम जी का कहना है  कि अगर हम सब कुछ प्रकृति से प्राप्त कर रहें हैं तो हमारा भी फर्ज  बनाता है कि हमें भी प्रकृति को कुछ देना चाहिए और वो देना और कुछ नहीं बस पेड़ लगाकर धरती का श्रृंगार करते रहों और प्रकृति को हरा  भरा रखों प्राणी जीवमात्र की रक्षा करों





    किसानों के लिए हिमताराम जी ने धरती का सबसे बड़ा संत नाम उचारा है उनका कहना है कि जो किसान सर्दी गर्मी, बरसात,धूप आदि की परवाह न करते हुए दिन रात जी तोड़ मेहनत कर अपना खुन पसीना एक करके फसल उगाकर हर कसी की जरूरत पेट को भरता है यह कार्य वास्तव में धरती का सबसे बड़ा संत ही कर सकता है।




    हिमताराम जी द्वारा नारनोल में भी संगोष्ठी की अध्यक्षता कर  सम्बोधित किया गया








    कलेक्ट्रेट स्थित एनआईसी के माध्यम से पद्मश्री हिमताराम भाम्बू ने लोकसभा सचिवालय की ओर से सांसदों को कई सुझाव दिए गए। भाम्बू ने अपने संबोधन में मानव जाति के लाभ, जंगल, जीव, जमीन, जलवायु जैविक व जनसंख्या पर विस्तार से जुड़ी जानकारी दी। उन्होंने राज्य वृक्ष खेजड़ी की उपयोगिता बताते हुए केंद्र सरकार द्वारा प्रत्येक जिले में समय-समय मानद वृक्ष मित्र (अवैतनिक) की नियुक्ति की मांग की। भारत में वन विभाग की जमीन का उपयोग करने, प्रत्येक किसान के खेत में एक टांका बनाने, जोड़ने, आयुर्वेद को अपनाने सहित हिमताराम भाम्बू  का आभार जताया।

    वन्यजीवों की रक्षा करने की बात कही। उन्होंने कहा कि सन 1953 से लेकर आज तक सम्पूर्ण भारत में हुए विकास तथा पर्यावरण, वन व वन्यजीवों के हुए विनाश का एक उच्च स्तरीय कमेटी द्वारा आंकलन एवं विश्लेषण किया जाना चाहिए। उन्होंने राष्ट्रीय पक्षी मोर को बचाने के लिए वन विभाग के पास पुलिस की तरह फोर्स देने की मांग की। पद्मश्री हिमताराम भाम्बू द्वारा पर्यावरण व वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए दी गई जानकारी और सुझाव पर कई सांसद प्रेरित हुए।हिमताराम भाम्बू के इन सुझावों को लागू किया खेत में 50 पौधे लगवाने, आदि योजनाओ पर अम्ल किये जाने पर जोर दिया




    • संस्था महावीर इंटरनेशनल द्वारा 2015 में इनको महावीर इंटरनेशनल ग्रीन इंडिया प्रोजेक्ट का संयोजक नियुक्त किया जिसमें पंडित जवाहरलाल नेहरू हॉस्पिटल व महिला महाविद्यालय में 2000 पौधे लगाकर बड़े किए गए जो आज बड़े-बड़े पेड़ बन गए हैं।
    • वर्ष 1995 से 2018 तक इनकी संस्था द्वारा पर्यावरण संरक्षण, वृक्षारोपण, वन्य जीव संरक्षण,नशा मुक्ति, जैविक खेती, पशुपालन, लेखक, पत्रकार, शिक्षक व समाज सेवा आदि कार्यों को लेकर 2300 के लगभग लोगों को उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित किया जा चुका है।





    •  नागौर में पेंशनर समाज के सहयोग से शहर के पास स्टेडियम में 200 पौधे लगाकर सुरक्षा व संरक्षण किया जो पेड़ अभी मौजूद हैं

    • पुलिस थाना पांचौड़ी क्षेत्र में 1999 में 19 मोरों का सामूहिक शिकार हुआ था जिसके बारे में पुलिस को सूचित किया गया परंतु पुलिस ने शिकारियों को बचाया और उन मोरों को जमींदोज कर दिया। आपने ग्रामीणों को साथ लेकर संघर्ष किया और 27 दिन बाद जमींदोज मोरों को बाहर निकलवाकर संबंधित थानेदार को लाइन हाजिर करवाया गया और 5 शिकारियों को जेल भिजवाया गया।

    •   नागौर हवाई पट्टी के पास सहस्त्र वन में 1100 पौधे लगाकर उनका संरक्षण किया गया जो आज पेड़ बन गए हैं।
    • स्थानीय ग्रामोत्थान विद्यापीठ संस्थान में 2000 पौधे लगाकर संरक्षण किया जो पेड़ बन चुके हैं।



    1. हिम्मत के धनी  हिम्मतारामपुस्तक विमोचन 


    अधिकांश इलाके में पानी खारा है। खुद हिमताराम भाम्बू जब जंगल बसा रहे थे और इसके लिए नलकूप खुदवाया तो 250 फीट की गहराई पर खारा पानी आ गया। हिमताराम भाम्बू ने इस खारे पानी का इस्तेमाल तो किया ही साथ ही बारिश के पानी को खेत में रोककर जमीन में नमी पैदा की और इससे पेड़ उगाए। आज उनका उगाया-बसाया जंगल पर्यावरण का अध्ययन करने वाले छात्रों के लिए एक संस्थान की तरह है। हिमताराम भाम्बू कहते हैं कि खारे पानी में भी पौधे पनप सकते हैं। यह हमने यहां किया है। इस जंगल में हर तरह के पेड़ हैं।










    •  पानी बचाने के लिए भारत सरकार के जलग्रहण कार्यक्रम के अंतर्गत सक्रीय भागीदारी करते हुये ग्राम सुखवासी व ग्राम माँझवास में 100 के लगभग पानी के टाँके बनवाए और दोनों जगह तालाबों को बंधवाकर हजारों लीटर पानी संचित किया जा रहा है।













    • दरगाह रोड पर 750 पौधे लगवाने में सहयोग किया था परंतु नगर परिषद के अधीन होने के कारण बिना पानी के पौधे जल रहे हैं इनको बचाने के लिए सैकड़ों बार जिला प्रशासन व नगर परिषद से पानी पिलाने की व संरक्षण करने की मांग की जा चुकी है।
    •  नागौर कब्रिस्तान व श्मशान भूमि व प्रताप सागर की पाल व डेह रोड कब्रिस्तान के आगे कई जगह सैकड़ों पौधे लगाकर बड़े किए जा चुके हैं। इन कार्यों में व्यक्तिगत स्तर पर हाजिर होकर वृक्षारोपण व वन महोत्सव में भाग लिया। दो मॉडल स्कूल नागौर व मूंडवा में वृक्षारोपण करवाया। जिले में प्रत्येक पंचायत समिति स्तर पर पौधे वितरण कर वन महोत्सव मनाए गए।
    •  1990 से आज तक शिकार की घटनाये जिले में कई बार होती रही जिनमें तुरंत ही सूचना मिलने पर मौके पर जाकर ग्रामीणों व पुलिस और वन विभाग का सहयोग कर अपराधियों को दंड दिलाया गया।
    •  मेड़ता में राव दूदा पार्क के लिए मौके पर जाकर वृक्षारोपण किया, रियां बड़ी में मस्जिद में जाकर पौधारोपण किया जो आज पेड़ बन चुके हैं


    नागौर जिले में ऐसा कोई गांव नहीं बचा जहां इनके द्वारा पौधारोपण नहीं किया है। सरकारी स्कूलों, पंचायत भवन, ग्रामीण किसानों भवनों ,तालाबों, गोचर, अंगोर, श्मशान भूमि, कब्रिस्तान या निजी स्कूलों में जगह.जगह जाकर पौधारोपण किया गया और निशुल्क पौधे वन विभाग के सहयोग से वितरण करवाए गए।




    हिमताराम जी भाम्बू को अब तक मिले पुरस्कार  उनके द्वारा किये गये कार्यो की कुछेक फोटो आपके सामने पेश कर रहा  हूं  जिनसे आपको पता चल जायेगा कि प्रकृति को इनका क्या योगदान रहा है। 











































    कहानी संत शिरोमणी भक्त फुला बांई 

    लगभग 300-400 वर्ष पूर्व नागौर की धरती के ग्राम माझवास में जन्म लेकर बाल्यकाल की अवस्था में संत शिरोमणी भक्त फूला बाई ने राम राम जप कर तपस्या करके कई चमत्कार दिखाए। उन्होंने गायों की सेवा की व उनके बनाए हुए गोबर के ओपलों में राम राम की ध्वनि निकलती थी। उन्होंने तत्कालीन महाराजा जसवन्तसिंह की फौज को काबूल से वापस आते वक्त ग्राम मांझवास में चन्द मिनटों में दो सोगरा, बाजरा की थूली व राबड़ी आदि दलिया बनाकर हजारों सैनिकों को भोजन कराया व वहाँ पर ही एक फीट का गढ्ढा खोदकर पानी पिलाया था। इसी चमत्कार से प्रभावित होकर जोधपुर महाराजा ने उनको अपनी धर्म की बहिन बनाया या व जोधपुर में अपने महलों में रानियों को ज्ञान व उपदेश देने के लिए फूल बाई को बुलाया था। फूला बाई अपनी 42 वर्ष की अवस्था में ही जीवित समाधि ले ली थी। उन्होंने अपने जीवनकाल में हजारों चमत्कार दिखाए व आज ही उनकी प्रसाद लेने से बारह महीनों तक

    कोई बीमारी नहीं लगती। फूलों बाई की पुण्य तिथि पर श्री गंगानगर, बीकानेर, चुरू, सीकर, हरियाणा, पंजाब, बाड़मेर, नागौर, जोधपुर व अजमेर आदि क्षेत्रों से हजारों लोग हर वर्ष पुण्य तिथि पर भाग लेने आते हैं।

    संत शिरोमणी भक्त फूलां बाई को 343वीं पुण्य तिथि पर विशाल प्रान्तीय महाधर्म सम्मेलन नागौर तहसील के ग्राम मांझवास में दिनांक 17-2-2019 को प्रातः 11 बजे से जमीन से 71 फीट ऊपर आसमान में धर्म ध्वजा फहराकर पुष्प वर्षा कर उद्घाटन किया । यह विशाल प्रान्तीय महासम्मेलन संत महापुरूषों के सानिध्य में किया।



















    मैं  ईश्वर से हिमताराम जी भाम्बू (दादाजी) के उज्जवल भविष्य  और उनके स्वस्थ दीर्धायु होने के लिए प्रार्थना करता हु और इन्हें शुभकामनाये प्रेषित करता हूँ तथा आशा करता हूँ इनका आशीर्वाद प्यार मुझे यू ही मिलता रहे आपका अपना सुरेन्द्र सिंह भाम्बू (मालीगांव)9829277798



     वैसे तो हिमताराम जी भाम्बू के बारे में लिखना सूर्य को दीपक दिखाने के सामान है। पर फिर भी जितनी जानकारी मुझे उपलब्ध हुई मैने आपके सामने शेयर कर दी है हांलाकि मैंने लिखने में पूर्ण सावधानी रखी है फिर भी कोई त्रुटि गई हो तो क्षमा  प्रार्थी हूं, और सुधार के लिए आपके सुझाव हमेशा आंमत्रित रहेंगे।

    समस्त जानकरिया स्वयं हिमतारामजी द्वारा फोन पर प्रदान की गई और अखबार की कटिंग और अन्य सभी फोटोज उनके द्वारा भेजी गई
    * कुछ जानकारिया गूगल से साभार है। *आपत्त्ती होने पर हटादी जाऐंगी।
    *   कुछ जानकारिया Laxman ji Burdak IFS के जाटलेण्ड पेज़ से पढ़कर ली गई है। *आपत्त्ती होने पर हटादी जाऐंगी।
     * लक्ष्मण जी बुरडक का बहुत बहुत धन्यवाद  आभार बहुत ही बारिकी से इन्होंने हिमताराम जी की जानकारिया लिखकर हमारे भाम्बू गोत्र पर उपकार किया  है।
    * कुछ न्यूज पेपर्स से पढ़कर दी गई है इनके लिए इनका आभार धन्यवाद  आपत्त्ती होने पर हटादी जाऐंगी।
    आपका अपना :-

    गांव /पो - मालीगांव
    तह. चिड़ावा
    जिला झुन्झुनूं (राज.)
    मो. 9829277798
    मेरे  ब्लॉग जिन पर मैं वर्तमान में लिखता हूं।

    आज के लिए इतना ही
    और जानकारी मिलने पर अपडेट कर दी जायेगी।
                            धन्यवाद 
    राम राम, जय हिन्द ,जय किसान




    पद्मश्री पुरस्कार एवं प्रकृति प्रेमी हिमताराम जी भाम्बू,के सम्मान-पत्रों का चित्र संग्रहण

     

     6 फ़ीट ऊंचा पालक का पौधा मालीगांव



    फाल्गुन मास,होली और धमाल,मोज़ मस्ती कहाँ गए वो दिन?सब कुछ बदल गया

     

    भाम्बू गौत्र का इतिहास


    मेरे बारे में ..


    लक्ष्य


    9 comments:

    1. सच महानता के गुण पढाई-लिखाई से नहीं आते
      धन्य हुए हम परिचय पाकर
      प्रेरक प्रस्तुति हेतु आभार

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      1. मेरे ब्लॉग आने के लिए आपका धन्यवाद

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    2. जी नमस्ते ,
      आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(२३-०९-२०२१) को
      'पीपल के पेड़ से पद्मश्री पुरस्कार तक'(चर्चा अंक-४१९६)
      पर भी होगी।
      आप भी सादर आमंत्रित है।
      सादर

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      1. नमस्ते अनिता जी
        चर्चा मंच में मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए आपका आभार धन्यवाद

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    3. हिमताराम जी निश्चय ही एक आदर्श हैं, एक पूरी पीढ़ी के लिए रोल मॉडल हैं। नमन उन्हें। मैं भी कुछ सीखने का प्रयास करूंगा उनके जीवन से।

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    4. प्रेरक प्रस्तुति

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    5. हिमताराम जी ने वाक़ई अपने नाम को सार्थक किया है, अत्यंत प्रेरणादायक पोस्ट

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    6. ऐसी महान हस्ती का जीवन परिचय पाकर धन्य हुए हम। भाम्बू जी की हिम्मत,हौसले और जज्जबे को कोटि-कोटि नमन और आपको तहे दिल से शुक्रिया

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      1. वसुंधरा को हरा-भरा बनाने वाले ऐसे महान व्यक्ति के सुकृत्य सदियों तक याद किये जाएंगे.
        सादर नमन !

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