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Thursday, October 7, 2021

नवरात्रि स्पेशल सभी को माता के नवरात्रों की शुभकामनाएं

देवी वन्दना
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता । 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

 "सदा भवानी दाहिनी सन्नमुख रहत गणेश, पांच देव रक्षा करें बह्मा, विष्णु, महेश"
श्राद्ध पक्ष खत्म होने के बाद आज से ही मां दुर्गा के नौ रूपों की पुजा अर्चना का सौभाग्य हमें नवरात्रों के रूप में मिलता है।  नौ दिन तक हर किसी के मुख मण्डल से माता के जयकारे ही गुंजते सुनाई देते है। इन नौ दिनों में माता के नौ रूपों की पुजा की जाती है। और उनसे शक्ति,सुख और समृद्धी जैसे अनेक मन वांच्छित वर (मन्नत)मांगे जाते है। वेदानुकूल तरीके  विधि से पूजा करने वाले भक्तों पर माता भगवती अपनी असीम कृपा कर उनके दुःख, भय, रोग, शोकादि दूर कर शक्ति और समृद्धि प्रदान मन वांच्छित वर प्रदान करती है।तथा अन्न धन के भण्डार भरती है।सभी देवी देवताओं की प्रार्थना और तीनों  महादेवों के अंश से प्रतिपादित  दुष्ट संहारक माता के  नौ रूपों को नव दुर्गा कहा गया जिनकी पुजा नवरात्र में की जाती है।
आजकल कोविड नियमों की अनुपालना के कारण बगड़ में जगह जगह  माता पंडाल नही सजते घरों में ही होती ह पूजा या बगड़ दुर्गा मंदिर में होती ह माँ की पूजा अर्चना।
अब मैं माता के नो रूपो के बारे आपको बताता हूं
जिनके अलग -अलग नौ नाम है।
मेरे साथ आप भी करिये जगत पालक ,संहारक मां के नो रूपों के दर्शन
1 शैलपुत्री - जो हिमालय की तपस्या और प्रार्थना से प्रसन्न हो कृपापूर्वक उनकी पुत्री के रूप में प्रकट हुई, 




 


2 ब्रह्मचारिणी  - सच्चिदानन्दमय ब्रह्मस्वरूप की प्राप्ति कराना जिनका स्वभाव हो, वे ब्रह्मचारिणी कहलाई.





 



         3 चंद्रघंटा  - आल्हाद्कारी चन्द्रमा जिनकी घंटा में स्थित हो, उन देवी का नाम चंद्रघंटा है.



 
 



4  कूष्मांडा त्रिविध तापयुक्त संसार जिनके उदार में स्थित हैं, वे भगवती कूष्मांडा कहलाई.




 




5 स्कंदमाता - भगवती शक्ति से उत्पन्न हुए सनत्कुमार का नाम स्कन्द है, उनकी माता होने से वे स्कंदमाता कहलाई.


 
 




6 कात्यायनी  -देवताओं के कार्यसिद्धि हेतु महर्षि कात्यायन के आश्रम में प्रकट हुई, जिससे उनके द्वारा अपने पुत्री मानने से कात्यायनी नाम से प्रसिद्द हुई.


 



7 कालरात्रि - काल की भी रात्रि (विनाशिका) दुष्ट संहारक होने से उनका नाम कालरात्रि पड़ा ।




 



8 महागौरी - तपस्या के द्वारा महँ गौरवर्ण प्राप्त करने से महागौरी कहलाई।





 




9 सिद्धिदात्री - सिद्धि अर्थात सर्व सिद्ध कारिणी मोक्षदायिनी होने से सिद्धिदात्री कहलाती है।

अनेक प्रकार के  आभूषणों और रत्नों तथा अस्त्र शस्त्रों  से सुशोभित ये देवियाँ क्रोध से भरी हुई और और मन मोहक दिखाई देती हैं. ये शक्ति, त्रिशूल हल, मुसल, खेटक, तोमर,शंख, चक्र, गदा, परशु, पाश, कुंत, एवं उत्तम शांर्गधनुष आदि अस्त्र-शस्त्र अपने हाथों में धारण किए रहती हैं, जिसका उद्देश्य दुष्टों का नाश कर अपने भक्तों को अभयदान देते हुए उनकी रक्षा कर संसार  में शांति व्याप्त करना और मन वांच्छित वर, मुराद पुरी करना और अन्न धन के भण्डार भरती है। 



 माता आप सभी पर भी अपनी असीम कृपा बनाये रखे इन्हीं शुभकामनाओं के साथ इजाजत चाहुंगा




पीपल के पेड़ से पद्मश्री पुरस्कार तक प्रकृति प्रेमी हिमताराम जी भाम्बू, हमारे भाम्बू परिवार व देश के गर्व

 

 6 फ़ीट ऊंचा पालक का पौधा मालीगांव



फाल्गुन मास,होली और धमाल,मोज़ मस्ती कहाँ गए वो दिन?सब कुछ बदल गया

 

भाम्बू गौत्र का इतिहास


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1 comment:

  1. मां जगदम्‍बा की अनुकम्‍पा सभी पर बनी रहीी,यही कामना है
    आपको भी नव दर्गोत्‍सव की हार्दिक शुभकामनाएं

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