एक तरफ जिस देश में गाय को पूजनीय मानते हैं वही दूसरी तरफ बेचारी इस गाय की कोई मदद ही नहीं कर रहा था न नगरपालिका न कोई और


आज मुझे हमारे एक मित्र शंकर लाल योगी जाटाबास द्वारा सूचना मिली की बगड़ फतेह सागर तालाब के पास नगरपालिका परिसर बगड़ के पास इकट्ठे गन्दे दलदल में दो दिन से एक गाय फंसी हुई है। और नगरपालिका के पास होने पर भी उसे कोई बाहर नहीं निकाल रहा है। या तो नगरपालिका इसे अनदेखी कर रही है।
या फिर वो नगरपालिका ही जाने लोग पास से गुजर जाते हैं और बेचारी तड़फती गाय की तरफ किसी का ध्यान नहीं जा रहा था।
मुझे दया आयी मैने अपने दो चार मित्रों को लिया और वहां पर पहुच गया पहुच कर देखा की एक बहुत ही बदबू दार शहर के गन्दे दलदल युक्त नाले में बेचारी गाय बुरी तरफ फंसी हुई है। उसके चारों पैर सिधे के सिधे दलदल में फंसे हुए थे और उससे बिलकुल भी हिला डुला नहीं जा रहा था घास में छिपे इस दलदल का क्या पता कि ये कितना गहरा है।

हम दो चार से बात बनती नजर नहीं आई मुझे आश्चर्य भी हुआ कि बिलकुल नगरपालिका कार्यालय के पिछे इस दलदल पर नगरपालिका के किसी भी कर्मचारी का ध्यान क्यों नहीं गया जाता भी कैसे वे मजे से बैठे मौज कर रहें थे उन्हें क्या लेना शहर के पशु जानवरों से ?


गाय लगभग 4-5 फिट तक दलदल में धंस चुकी थी हमने काफी जतन ओर रस्से द्वारा खिंचा तान करके 2 घंटे की मस्कत के बाद अन्तः गाय को उस दलदल से निकाल लिया
फिर भी आश्चर्य देखो वहा उपस्थित 20-30 लोगों के इकट्ठे होने और शोर गुल को देखकर और सुनकर भी वहां नगरपालिका बगड़ से हमारे लिए कोई मदद नहीं आई मदद तो दूर की बात कोइ यह पुछने भी नहीं आया कि यहां इस दलदल में ये शोर क्यों हो रहा हैं? क्या बात है? अब आप ही अंदाज लगा सकते हैं कि यहां की नगरपालिका कितनी जागरूक है।
गाय को निकाले के पश्चात उससे खड़ा नहीं हुआ गया तो उसे नहलाया गया तथा पास में स्थित राजकीय पशु चिकित्सालय द्वारा उसका प्राथमिक उपचार करवाया गया अब वह गाय बिल्कुल स्वस्थ है।
और अब आपको बगड़ के पत्रकारों की बताता हूं मैने स्वय पत्रिका के संवाददाता श्रीमान ज्योति प्रकाश जी से कहा था कि गाय फंसी हुई है। तो उनके कान के निचे जूं तक नहीं रेंगी मेरी बात को ऐसे अनसुना कर दिया जैसे गाय ही तो कोइ बड़ी बात थोडे ही है। ये तो वहां जाते है जहा या तो कोई वी आई पी आया हो या फिर कोई नेता ये गाय बेचारी इनकी क्या लगती हैं जो ये उसे बचाने या न्यूज बनाने आते या फिर होली दिपावली विज्ञापन लेने जाते हैं दुकानो दुकानों पर क्योकि इससे ही तो इनको आमदनी होती है। ये हाल हैं हमारे बगड़ के प्रशासन और मिडिया का ।और नगरपालिका इस दलदल युक्त गंदे पानी का कोई निकासी प्रबंध नहीं कर पा रही है।
वाह रे नगरपालिका! वाह रे बगड़ का मिडिया ! ??????????
आपके पढ़ने लायक यहां भी है।
आपने बहुत पुन्य का कार्य किया है | इस पुन्य कार्य हेतु आप धन्यवाद के पात्र भी है |
ReplyDeleteबहुत पुन्य का काम किया.... बेजुबान जानवर की जान बचाकर ।
ReplyDeleteआप व आपके सभी दोस्त बधाई के पात्र है।
सुरेन्द्र जी गदगद हूँ आपकी इस निक भावना से ....
ReplyDeleteगाय को माँ के बराबर माना गया है ....और उस माँ की दुआएं अब हमेशा आपके साथ रहेंगी ....
कोई साथ दे या न दे आप यूँ ही सबके साथ रहना ...आपके साथ ईश्वर रहेगा .....!!