"हां यह बात सत्य हैं कि स्टेज की कला के समतुल्य है सड़कों पर दिखाइ जाने वाली कला बस फर्क सिर्फ इसे पहचानने का हैं "
आज जब मैने अपनी दुकान खोली तो कुछ समय बाद इन्होने हमारी दुकान पीरामल गेट के पास आकर जब आपना सामाना लगाना शुरू किया तो मैन और सभी दुकानदारों ने सोचा की होगा कोई साधारण सा खेल दिखाकर हमेशा की तरह अपनी दवा- दारू बेचने वाला मदारी लेकिन 10 -15 मिनट के बाद जब हमारे कानों मे कर्ण प्रिया आवाज पहुची तो हम अपनी अपनी दुकानों से निकलकर बाहर देखने के लिए मजबुर हो गये और फिर देखी इनकी कला, मधुर संगीत पर नृत्य व सर्कस की कला दिखाते छोटे छोटे बच्चे वास्वत में प्रसशा के काबिल खेल दिखा रहें थे
अगर आप भी यह कला देखते तो आपके मुह से भी अनायास ही यह निकल पड़ता कि अगर ये कला अच्छे साज बाज के साथ अगर स्टेज पर दिखाई जाती तो यह पार्टी वास्तव में कलाकार कहलाने लायक थी आरकेस्ट्रा पार्टी का मुकाबला करने वाली होती या फिर कोई सर्कस के कलाकार से तो बिलकुल भी कम नहीं होती पर इनका दुर्भाग्य कि इनके हिस्से में आया रोड़ पर खेल दिखाना क्योकि ये बेचारे गरीब ये खेल दिखा कर ही अपना पेट पालते हैं ये पाटी या यूं कहे खेल दिखाने वाले इलाबाद के रहने वाले एक ही रिवार के 8 सदसय हैं हैं इसके परिवार के मुखिया का नाम गोविन्दा हैं जो ये खेल दिखाकर अपना गुजारा चलाता हैं शहर दर शहर अपना ये छोटा सर्कस का खेल दिखा कर अपना गुजारा चलाता हैं
इनके पास अपना खुद का इंस्टोमेंटल यानि साज बाज हैं जिसमें ढ़ोलकएबेटरी से चलने वाला पियानों, स्पीकर ,डेक,,माईक, आटोपैड की जगह स्टील की थाली ने ले रखी थी और गाने की इनकी खुद की आवाज तो कमाल की थी
ये छोटी सी लड़की भांति भांति के करतब दिखा कर लोगों का मन मोह रही थी इस बच्ची के करतब देखकर लोगों ने अपनी फुरसतानुसार 10- 20 रू इसे दिये आप फोटो में देख सकते हैं ये लड़की बैच पर पड़ी अंगुठी अपने मुंह से उठा रही हैं वो भी इनता पीछे की तरफ घुम कर
कुल मिलाकर जिस किसी के मुह से भी यही आवाज निकल रही थी कि कला बहुत ही अच्छी हैं अगर यही कला स्टेज पर प्रस्तुत की जाती तो यह प्रटार्ह 10 - 15 हजार रूपये की पर्टी कहलाती पर इनका नसीब की ये लोग सिर्फ 10 -20 रूपये के लिए ही सड़क किनारे खेल दिखा कर अपनी आजीविका चला रहें हैं
ये छोटा सा लड़का पियानों बजाने साथ साथ अपनी मधुर आवाज में गीत भी गा रहा था
पियानों पर इसकी अंगुलिय ऐसे चल रही थी मानों कई सदियों से ये पियानों बजा रहा हो ,और पास सुटकेश में पड़ा इनका म्यूजिक सिस्टम तथा लाईट बेट्री
और ये छोटा सा लड़का थाली इस प्रकार बजा रहा था मोनों आटो पैड (वाद्ययंत्र) बजा रहा हों वास्तव में बहुत ही अच्छी आवाज निकल रही थी और पियोनों वादक और ढ़ोलक वादका के तो कहने ही क्या
इस मण्डली का संचालक गोविन्दा नाम का यह इलाबाद का रहने वाला कला कार जो ढ़ोलक बजा कर तथा खेल दिखा कर अपनी आ जीविका चला रहा है।
इनका प्रोग्राम मुझे अच्छा लगा मुझे ही क्या सभी देखने वालों को अच्छा लगा ना तो कोई दवा दारू बेचा और ना की किसी चिज का प्रचार किया मात्र अपने बच्चों द्वारा कला दिखा कर आपनी आजीविका के लिए कुछ रूपये बटोर और चल दिया अगले नुक्कड़ की और वाह रे जिन्दगी क्या कदर हैं, कला की एक तरफ जहां स्टेज सजाकर बैठने के लिए कलाकारों के लिए गदृदे सजाये जाते हैं लाईट के लिए जनरेटर चलाया जाता हैं पंखे चलाये जाते हैं वही दुसरी तरफ ऐसे कलाकारों के लिए सड़क किनारे एक चटाई ही नसीब नही हो पाती हैं और उन्हें लोग अपने नाम को बड़ करने के लिए 100- 500 रू बतोर इनाम दे देते हैं तथा पार्टी के नाम पर उन्हें 20- 25 हजार रूपये भी दे देत हैं ओर उनकी आव भगत होती हैं वो अलग से। और इन बेचारों को 10 रूपये देने से ही कतराते हैं वाह रे कला!
खेल देखने के लिए जमा भीड़
आज जब मैने अपनी दुकान खोली तो कुछ समय बाद इन्होने हमारी दुकान पीरामल गेट के पास आकर जब आपना सामाना लगाना शुरू किया तो मैन और सभी दुकानदारों ने सोचा की होगा कोई साधारण सा खेल दिखाकर हमेशा की तरह अपनी दवा- दारू बेचने वाला मदारी लेकिन 10 -15 मिनट के बाद जब हमारे कानों मे कर्ण प्रिया आवाज पहुची तो हम अपनी अपनी दुकानों से निकलकर बाहर देखने के लिए मजबुर हो गये और फिर देखी इनकी कला, मधुर संगीत पर नृत्य व सर्कस की कला दिखाते छोटे छोटे बच्चे वास्वत में प्रसशा के काबिल खेल दिखा रहें थे

ये छोटी सी लड़की भांति भांति के करतब दिखा कर लोगों का मन मोह रही थी इस बच्ची के करतब देखकर लोगों ने अपनी फुरसतानुसार 10- 20 रू इसे दिये आप फोटो में देख सकते हैं ये लड़की बैच पर पड़ी अंगुठी अपने मुंह से उठा रही हैं वो भी इनता पीछे की तरफ घुम कर
कुल मिलाकर जिस किसी के मुह से भी यही आवाज निकल रही थी कि कला बहुत ही अच्छी हैं अगर यही कला स्टेज पर प्रस्तुत की जाती तो यह प्रटार्ह 10 - 15 हजार रूपये की पर्टी कहलाती पर इनका नसीब की ये लोग सिर्फ 10 -20 रूपये के लिए ही सड़क किनारे खेल दिखा कर अपनी आजीविका चला रहें हैं
ये छोटा सा लड़का पियानों बजाने साथ साथ अपनी मधुर आवाज में गीत भी गा रहा था
पियानों पर इसकी अंगुलिय ऐसे चल रही थी मानों कई सदियों से ये पियानों बजा रहा हो ,और पास सुटकेश में पड़ा इनका म्यूजिक सिस्टम तथा लाईट बेट्री
और ये छोटा सा लड़का थाली इस प्रकार बजा रहा था मोनों आटो पैड (वाद्ययंत्र) बजा रहा हों वास्तव में बहुत ही अच्छी आवाज निकल रही थी और पियोनों वादक और ढ़ोलक वादका के तो कहने ही क्या
इस मण्डली का संचालक गोविन्दा नाम का यह इलाबाद का रहने वाला कला कार जो ढ़ोलक बजा कर तथा खेल दिखा कर अपनी आ जीविका चला रहा है।
इनका प्रोग्राम मुझे अच्छा लगा मुझे ही क्या सभी देखने वालों को अच्छा लगा ना तो कोई दवा दारू बेचा और ना की किसी चिज का प्रचार किया मात्र अपने बच्चों द्वारा कला दिखा कर आपनी आजीविका के लिए कुछ रूपये बटोर और चल दिया अगले नुक्कड़ की और वाह रे जिन्दगी क्या कदर हैं, कला की एक तरफ जहां स्टेज सजाकर बैठने के लिए कलाकारों के लिए गदृदे सजाये जाते हैं लाईट के लिए जनरेटर चलाया जाता हैं पंखे चलाये जाते हैं वही दुसरी तरफ ऐसे कलाकारों के लिए सड़क किनारे एक चटाई ही नसीब नही हो पाती हैं और उन्हें लोग अपने नाम को बड़ करने के लिए 100- 500 रू बतोर इनाम दे देते हैं तथा पार्टी के नाम पर उन्हें 20- 25 हजार रूपये भी दे देत हैं ओर उनकी आव भगत होती हैं वो अलग से। और इन बेचारों को 10 रूपये देने से ही कतराते हैं वाह रे कला!
खेल देखने के लिए जमा भीड़
आपके पढ़ने लायक यहां भी है।
nice....
ReplyDeletewel come
http://vijaypalkurdiya.blogspot.com
bahoot achha likha aapne......yahan par sahi aur achhe ki kadar koi janta hi nahi.......
ReplyDeleteohhhhh yarr sahi me aap ne ye sub aacha hi kiya hai
ReplyDeletebagar ko logo k samne lane k liye
आपकी रचना सरहनीय हैं। सुरेन्द्रजी
ReplyDeleteसुरेन्द्रजी, वास्तव मे ही ये लोग बड़े मेहनती व ईमानदार होते हैं। आपने इन लोगो के खेल को लोगो के सामने प्रस्तुत किया व हम जैसे घर बैठे लोगो को जानकारी दी। इसके लिए धन्यवाद।
ReplyDeleteदीपावली के पावन पर्व पर आपको मित्रों, परिजनों सहित हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteway4host
RajputsParinay