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Monday, November 22, 2010

भूखे भक्तों को भगवान , भोजन कब पहुचाओगे


सबसे पहले पंचमुखी हनुमान जी दर्शन
आजकल स्टूडियों बुकिंग के कारण इतना नेट पर नहीं बैठ पा रहें हैं इसलिए कुछ न तो लिख पा रहें हैं और न ही कुछ पढ़ पा रहें है।
आज यूं ही बैठे बैठे एक सड़क पर पड़े किसी मैगजीन के पन्ने में लिखी कविता आगे आ गई कविता में भगवान और इंशान का वर्तमान हालात पर संवाद है। कविता मार्मिक लगी सो आपके साथ शेयर करने का मन बना लिया भावार्थ स्पष्ट हैं आपको समझने में दिक्कत नहीं आयेगी।

कितने महल गिराओगें।
तब जाकर घर पाओगे।।

सूरज को धमकाओंगे।
उजियारा हथियाओंगे।।


ढेरों पाप करोगे फिर।
आधा पुण्य कमाओगे।।

कुल अंधों की नगरी में
किसको आंख दिखाओंगे।।

जब खुद से टकराओंगे।
चूर-चूर हो जाओगे।।

राजा का दरबार हैं तुम
कैसै सच बतलाओगं।।


जग में आग लगा तो दी
अब क्या खाक उडाओगे।।

भूखे भक्तों को भगवान
भोजन कब पहुचाओगे।।


समझेगें नासमझ सभी
किस किस को समझाओंगे।।



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