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Saturday, July 2, 2016

मेह होग्यों भाया अब खेत बास्या (इस मानसून की सबसे तेज बारीश)

 काफी दिनों से किसान आश लगाये बैठे थे कि कब बारिश हो और कब बुआई जुताई का कार्य किया जाये आखिर कार भगवान ने उनकी सुन ही ली  और देर सवेर  रात को अपना जलवा दिख ही दिया । आज रात को इस मानसून की सबसे तेज बारीश हुई , पुरी रात रूक रूक कर पानी बरसता रहाऔर तेज बिजली गड़गड़ाती रही
 सुबह लोगों के चेहरे पर रोनक देखने को मिली  कोई पुरानी हांडी सम्भालने लगे जिसमें पुराने लोग बीजने के लिए मूंग ग्वार बाजरे का बीज सम्भाल कर रखते थे।
 ट्रेक्टर वाले अपने ओजार कल्टी वगेरह सम्भालने में लग गये और ऊट वाले अपने हल औरनी भिजोटिया जिसमें डालकर ऊट से बीज बिजा जाता है सम्भालने में लग यें है।
 कुछ का कहना है कि एक दो दिन और इंतजार किया जाये ताकि  ज्यादा बारिश आ जाने से जुताई किये हुए खेतों को नुकशान न हो जाये इसलिए लोग एक दो दिन तक इंतजार करके ही जुताइ का कार्य प्रारम्भ करते है। और दुसरी और जो खेत थोड़े चिकनी मिटटी टाईप के थे उनमें काफी पानी भर गया हैं वो भी  पानी सुखने के बाद ही जोते जा सकेंगें ,मैं भी दो दिन इंतजार करके ही अपना खेत बिजवाऊगां ।
कई खेतों में जोरदार पानी ळार गया हैं इस पानी को दखेकर बचपन की यादे ताजा हो जाती  हैं कि बच्चे थे तब ऐसे बारिश के जमा पानी में बहुत ही भागदोड़ करके खेला करते थें बहुत नहाते थे पर अब वो दिन कहां ...



खेतों ही खेतों में नही रास्तों में भी काफी पानी भर गया है।









आपके पढ़ने लायक यहां भी है।

कुछ दोस्त बहुत याद आते है..

  लुप्त होती भारतीय संस्कृति- इसे बचाये पर कैसे ?

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