सभी देश वासियों, दोस्तों,ब्लॉग जगत के सभी पाठकों ,ब्लॉग मालिको को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
आज सुबह 15 अगस्त के इस पावन अवसर पर श्री स्वरूप पब्लिक स्कूल बगड़ में जहा मेरा बेटा लक्ष्य पढ़ रहा है में जाने का अवसर मिला वहा के माहोल को देख कर अपने बचपन के स्कूली दिन याद आ गये।
वो 15 अगस्त के दिन अल्सवेरे उठाना... बाकि दिनों चाहे न रहे पर उस दिन साफ सुथरी स्कूल गणवेश... वो पक्तियो में बैठना .. वो लहराता हुआ तिरंगा झंडा.. वो पी टी ... वो देश भक्ति नारे जयकारो का गूंज उठाना... वो तालियों की गड़गड़ाहट ....सब यादे ताज़ा हो उठी.. वो का वो माहोल आज यहाँ देखने को मिला मन प्रफुल्लित हो उठा .....
पर एक बात थी जो मन को खली वो थी विद्यार्थियों की कमी हमारे टाईम में हम पूरी संख्या में बडै चाव से इस दिन स्कूल जाया करते थे पर अब लगता है बच्चों में वो उत्साह नहीं रहा या फिर अभिभावक इतना ध्यान नही देते ये तो वो ही जानें पर?? बर बच्चों का उत्साह दिन ब दिन कम होता जा रहा ये शायद पाश्चात्यीकरण का भी प्रभाव हो सकता है या यत्रीकरण का प्रभाव भी कह सकते है।
ये मन को झकझोर देने वाला विषय हैं ???
ये तो रही हमारी पुरानी यादे और जब अचानक बच्चों की तालियों से तन्द्रा टूटी और वर्तमान में आये, और.. स्कूल के कार्यक्रम का हाल बयां करते है।
यहाँ स्कूल में छोटे छोटे बच्चो द्वारा कविता प्रस्तुत की गई नन्हा मुन्ना राही हु देश का सिपाही हु, अरे घास री रोटी जैसी रोंगटे खड़े करने वाली कविता सुनने को मिली ,और स्कूल के बच्चो द्वारा झंडा मार्च देखने को मिला, सब देख कर मन भावविभोर हो गया ।
और अंत में रही सही कसर राजस्थान के जाने मने कवि बगड़ की शान भागीरथ सिंह जी भाग्य जी पूरी कर दी उन्होंने अपनी हास्य कटु व्यंग कविता "आ रे साथी जतन करा यो फंसगो देश लाफागा म" सुनाकर सबका मन उत्साहित कर दिया । तो प्रोग्राम के साथ साथ भाग्य जी को सुनने का सोभाग्य भी मिला ।
आज मन बहुत हु प्रफुल्लित है और आपका?
अंत में
जय हिन्द जय भारत वंदे मातरम्।
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