आप सभी को दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएं
बगड़ की प्रसिद्ध रामलीला के कुछ दृश्य
दशहरे का अवसर हैं आपको हर जगह गांव- गांव ढ़ाणी- ढ़ाणी में आपको इन दिनों रामलीला का मंचन होता नजर आ जायेगा।तों मैं भी आपको हमारे नजदीक की रामलीलाओं के अभीनय से अवगत करा रहा हूं सबसे पहले बगड़ की रामलीला यहां -

हर जगह की भांति सबसे पहले प्रभु की आरती जैसा कि फोटों मे दर्शाया गया है। करके फिर आगें का कार्यक्रम शुरू किया जाता है।जब मैं गया तो यहां काफी भिड़ जमा हो चुकी थी और विभीषण द्वारा रावण को समझाना और रावण द्वारा विभीषण को लात मारकर लंका से

निकालना तथा उसका राम के पास आने का अभिनय चल रहा था मंच बहुत ही सुन्दर और मन मोहक लग रहा देखकर ऐसा लग रहा था जेसे यहाँ बैठे लंका नगरी पहुच गये हों ये

रामलीला श्री श्याम मण्डल प्रबंध समिति द्वारा चलायी जाती है।
मैं आपको बता दूं कि बगड़ नगर की रामलीला आज से 15 - 20 वर्ष पहले

इतनी प्रसिद्ध थी की आते थे आस पास के अनेकों गावों के लोग रात को अपने अपने साधन लेकर झुण्ड के झुण्ड बनाकर देखने के लिए । इतनी भीड़ जमा हो जाती थी कि बैठने के

लिए जगह कम पड़ जाती थी ।तब हम तो सिर्फ अपने बड़ों से ही सुनते थे। बच्चे थे इतनी दूर आ नहीं सकते थे। जब वास्तव में देखा तो पता चला पहले वास्तव में सच्चे अभिनय युक्त (अचंभित करने वाली)रामलीला

होती थी वही रामलीला आज मैने कई वर्ष पश्चात आज फिर देखी लेकिन वैसा आनन्द नहीं आया अब बगड़ की रामलीला में वो बात नहीं रही करण क्या हैं ये तो प्रभू ही जाने बाकि मेरे मतानुसार मण्डल में
राजनीतिकरण और लोगों की ऐसे धार्मिक कार्यक्रमों के प्रति घटती रूचि तथा कुछ हद तक पुराने पात्रों का बदलाव है। अब सिर्फ बगड़ के ही लोग इसे देखने को आते है।मुझे यहां बच्चों और महिलाओं की संख्या ही ज्यादा नजर आई।और यहा हर रोज इन 10 -15 दिनों में प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता करवाई जाती है। अब यहां इस मण्डल द्वारा अभिनय की बजाय और व्यवस्था करवाने की बजाय चन्दा वगेरह और पेसे इकट्ठे करने में रूचि ज्यादा दिखाई दे रही थी यहां अभिनय कम और
दान दाताओं के नाम जल्दी जल्दी बोले जा रहें थे उसके लिए चाहे अभिनय को रोकना ही क्यों न पड़े मुझे तो यहाँ एक तो लाइट की व्यवस्था का अभाव दिखाई दिया और आवाज भी पिछे तक कुछ स्पष्ट सुनाई नहीं दे रही थी। जबकि इस मण्डल के पास जैसी जानकारी मिली हे। पैसे बहुत है। हालांकि अब भी यहाँ बगड़ के काफी बच्चो और औरतों और नवयुवकों की भीड देखने को मिल जायेगी परन्तु ये सिर्फ बच्चों का मनोरंजन और टाइम पास ही लग रहा था कोई ज्ञान प्राप्ति नहीं ।अब आये दिन यहाँ कुछ न कुछ छुट पुट बदमासियां होन लगी है। हो सकता हैं ये कारण भी भिड न होने का एक कारण हो, मण्डल को इसे रोकने की तरफ भी ध्यान देना चाहिए।इसे ज्यादा अच्दी मुझे पास के एक छोटें गांव ढ़ाणी रेखवाली में अभिमंचित रामलीला लगी वहां भीड भी काफी थी और बगड़ के भी कुछ लोग इसे छोड़कर वहां देखने को गये हुए थे। वहां के पात्रों की धीर गम्भीरता भी अच्छी लग रही थी।
परन्तु एक बात जरूर हैं कि इतनी भीड़ को देखकर ऐसा लग रहा थ कि कुछ तो हैं अपने धार्मिक कार्यक्रमों में
मेरा उदेश्य किसी आदमी या किसी समिति या मण्डल विशेष की बुराई करना नहीं अपितु मुझे जो कमिया नजर आई उनके प्रति मेरा यह सुझाव हैं जो मैने प्रस्तुत कर दिया मुझे लगा कि कुछ सुधार की अवश्यकता हैं ताकि यह रामलीला पहले जैसी प्रसिद्ध रामलीला ही बनी रहें और दुबारा वही प्रसिद्धि का आसमान छुये
बाकि आज भी रामलीला का मंचन होता देख द्वापर युग की याद और लोगो के मन में हमारे धर्म के प्रति आस्था पैदा हो जाती है।
बगड़ की रामलीला मंच के कलाकार
यहाँ पुराने पात्रों में रावण बने श्री शिवभगवान जी ही रह गये है।
अब मैं यहाँ के पात्रों से आपको अवगत करवाता हूं।
राम का रोल अदा कर रहें है। श्री अशोक जी शर्मा
लक्ष्मण श्री सुशील जी
रावण बने श्री शिवभगवान जी
विभिषण के रोल में थे हमारे मित्र श्री रौहितश जी सैनी (आंचल स्डूडियों)
अब मैं यहाँ के पात्रों से आपको अवगत करवाता हूं।
राम का रोल अदा कर रहें है। श्री अशोक जी शर्मा
लक्ष्मण श्री सुशील जी
रावण बने श्री शिवभगवान जी
विभिषण के रोल में थे हमारे मित्र श्री रौहितश जी सैनी (आंचल स्डूडियों)
श्री कुन्दन जी और श्री बलबीर नट मनोरंजक रोल अदा करते है।
बगड़ के नजदीक ही रेखावाली ढ़ाणी की रामलीला वास्तव में देखने में लग रही थी राम की लीला
जो वास्तव में टक्कर दे रही बगड़ की राम लीला को और प्रसिद्धि का आसमान छू रही है।

ये रामलील का दृश्य हैं बगड़ के नजदीक के एक छोटे से गांव रेखावाली ढ्राणी का रेखावली ढ्राणी में रामलीला का मंचन लोग मंत्र मुग्ध होकर देख रहें थे और वहां नीम का थाना से एक कलाकार को नृत्य के लिए बुलाया गया था तथा अभिनय बहुत ही सुन्दर था ।
हा. हा. हा. हा. रावण के ठहाके गुंज रहें थे हा. हा. हा. हा.नाचने वाली प्रबंध किया जाये ये लंकेश का आदेश ऐसा ही कुद देखने को मिला वहां।
इस नृत्य कलाकारा ने सबका मन मोंह रखा था
आप सब को विदित है। यह पर्व दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। और अधर्म पर धर्म की विजय
तो हमेशा धर्म का साथ देना चाहिए और सच्चाई का साथ देना चाहिए
यहाँ के पात्र थे जिन्हें मैं जानता हूं उनके नाम आपाके बता रहा हूं।
गुलझारी लाल कटारिया कुंभकर्ण के रोल को अदा करता है।
बलबीर सैनी हनुमान जी
सुनील जो राम का रोल अदा कर रहें थे
लक्ष्मण का रोल शक्ति सिंह सैनी अदा कर रहें थे
विनोद जो रावण बने हुये है।
सत्यनाराण कटारिया मजाकिया मनोरंजक रोल अदा कर रहें थे आदि
दोनों ही जगह की रामलीला मंचन का विडियो अगली पोस्ट में अगली पोस्ट के विडियों में आपको रूबरू करवाये गें लगातार 30-32 वर्ष से रावण बनते आ रहें श्री शिवभगवान जी शर्मा के अभिनय से जो रामायण सीरियल में रावण बने श्रीमान अरविन्द त्रिवेदी जी से अदाकारी में कही कम नहीं नजर आ रहे है।
तो देखना मत भुलना अगली पोस्ट
आपके पढ़ने लायक यहां भी है।
सुंदर प्रस्तुति
ReplyDelete5/10
ReplyDeleteरामलीला की बढ़िया रिपोर्टिंग
पोस्ट निर्माण में मेहनत झलकती है
आपने बिलकुल दुरस्त फरमाया है आजकल इसकी रोचकता खत्म सी होती जा रही है| इस मंडल पर एक ही जाती या समुदाय का कब्जा होना और धार्मिक भावना का अभाव होना भी इसके कुछ कारण है |
ReplyDeleteचित्र बड़ा सुन्दर लगाया है.
ReplyDeletewww.pratipakshi.blogpost.com
आभार।
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